उन्होंने कहा कि कहा 2002 में 2 प्रतिशत बच्चे नशे से ग्रस्त थे वहीं आज यह आंकड़ा बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया है। बच्चे देश के वर्तमान तथा भविष्य हैं। इसलिए सबसे पहले उनके जीवन को बचाने के लिए हम सभी को गहन चिंतन कर हल निकालना चाहिए। जिला कुल्लू तथा मंडी नशा तथा इसका कारोबार करने वालों में सबसे अधिक प्रभावित है लिहाजा यहां पर नशे को जड़ से उखाड़ फैंकने के लिए अत्यधिक मेहनत करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए इस कार्यशाला से संकल्प लेकर समाज से नशे के खात्मे के लिए पूर्ण सहयोग करना होगा। उन्होंने एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 44 से 48 तक के विभिन्न प्रावधानों की एक वीडीयो के माध्यम से विस्तार से जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश समग्र नशा निवारण नीति भांग, अफीम आदि की खेती को करने से रोकती है तथा आपराधिक मामलों पर गंभीरता से समीक्षा की जाती है। उन्होंने कहा कि नशे से सम्बंधित कोई भी सूचना सीएम हेल्पलाईन नम्बर 1100 पर दी जा सकती ह जिस पर तुंरत कार्यवाही होती है। इससे नशा का कारोबार करने वाले मुख्य सरगनाओं तक पहुंचने में सहायता मिलती है।उन्होंने कहा कि प्रदेश के 15 विधानसभा क्षेत्रों की 300 पंचायतों में जहां नशे का कारोबार अधिक है, ऐसे लोगों को सुविधाएं प्रदान कर आजीविका के रूप में प्राकृतिक खेती, उद्योग व अन्य स्वरोजगारोन्मुखी कार्यों को अपनाने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जाएगा।