आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत प्रधानमंत्री को 73 संगठनों ने लिखा पत्र, प्रदेश को राष्ट्रीय आपदा राज्य करे घोषित

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सुरभि न्यूज ब्यूरो
कुल्लू,16 अगस्त

हिमाचल प्रदेश मेें 8 जुलाई से हो रही लगातार भारी बारिश से सभी जिलों में बहुत जान-माल का नुकसान हुआ है। जिसके लिए भारत सरकार हिमाचल प्रदेश को राष्ट्रीय आपदा राज्य घोषित कर प्रदेश में हुए भारी नुकसान की भरपाई के लिए राहत राशि जारी करें।

हिमालयन नीति अभियान के महा सचिव संदीप मिन्हास ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में अत्याधिक बारिश के कारण बादल फटने व भूस्खलन से बहुत जान-माल का नुकसान हुआ है। प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा से हजारों करोड़ों रूपये के नुकसान के साथ सेंकड़ों लोगों की जाने लील ली गई जिसकी भरपाई करना असंभव है।

उन्होने बताया कि प्रदेश के विभिन्न 73 सिविल सोसायटी संगठनों और जनसंगठनों ने मिल कर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर राज्य में वर्तमान में सामने आ रही गंभीर और संकटपूर्ण स्थिति के बारे में बताया है तथा प्रधानमन्त्री से अनुरोध किया हैं कि 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत इस स्थिति को राष्ट्रीय आपदा (दुर्लभ गंभीरता की आपदा) के रूप में हिमाचल प्रदेश को तत्काल घोषित करें।

उन्होने बताया कि इन संगठनों ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत जो एक आपदा को परिभाषित करता है जिसमें जीवन की पर्याप्त हानि, मानव पीड़ा, संपत्ति को नुकसान, या पर्यावरण के क्षरण को शामिल किया गया है। मौजूदा हालात हिमाचल प्रदेष इन सभी शर्तों को पुरा करते हुए गंभीर स्थिति से गुजर रहा है।

उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश इस समय एक अभूतपूर्व आपदा परिदृश्य से जूझ रहा है। पिछले एक महीने से भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के कारण आधी से ज्यादा आबादी लगातार जान के खतरे में जी रही है। जिला कुल्लू घाटी में बाढ़ इस बड़े पैमाने पर आपदा का शुरुआती बिंदु था जो अब राज्य के कई जिलों में सामने आ रहा है।

हजारों इमारतें आंशिक रूप से या पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं, 100 लोगों के आसपास जाने चली गई है और हजारों परिवार अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं। अस्थायी आश्रयों में शरण लेने के लिए या रिश्तेदारों के पास रहने पर मजबूर है। प्रदेश की स्थिति अत्यधिक गंभीर है, लगभग 2000 सड़कों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा है और सरकारी और निजी संपत्ति दोनों को महत्वपूर्ण नुकसान उठाना पड़ रहा है।

प्रारंभिक अनुमानों से पता चलता है कि राज्य को 10000 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जो अभूतपूर्व है। दुर्लभ गंभीरता की इस आपदा के सामने, हिमाचल प्रदेश में केंद्र सरकार की ओर से जरूरी सहयोग के बिना स्थिति को कम करने के लिए संघर्ष किया जा रहा है जिसके लिए इन सभी संगठनों ने प्रधानमन्त्री को लिखे पत्र के माध्यम से मांग की है कि हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय आपता प्रदेश घोषित कर तत्काल राहत राशि  जारी करे ताकि इस प्राकृतिक आपदा से उभर सके।

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