सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
जोगिन्दर नगर, 17 नवंबर
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा कून का तर पुल निर्माण का कार्य तुरंत शुरू करने की मांग की है। जनता की मुसीबत के प्रति सरकार के उदासीन रवैये की पार्टी ने कड़ी निंदा की है। सीपीआईएम के मंडी जिला सचिव एवं जिला परिषद के सदस्य कुशाल भारद्वाज ने कहा कि पिछले 16 महीनों से ज्यादा समय से मंडी, जोगिन्दर नगर व द्रंग विधान सभा क्षेत्रों की जनता मुसीबत झेल रही है और प्रदेश सरकार हवा-हवाई-घोषणाओं के अलावा कुछ नहीं कर रही।
उन्होंने कहा कि जुलाई 2023 को भारी बाढ़ के चलते कून का तर नामक स्थान पर ब्यास नदी पर बना डबल लेन पुल बह गया था। उस वक्त से ही नदी के आर-पार आने-जाने के लिए ट्रेफिक की आवाजाही पूरी तरह से बंद है। हजारों लोग तब से ही मुसीबत झेल रहे हैं। उपरोक्त तीनों विधान सभा क्षेत्रों की अनेकों पंचायतों की जनता के लिए यह पुल जीवन रेखा का काम करता था। हैरानी इस बात की होती है कि सरकार बड़ी-बड़ी बातें करने के बजाए कुछ नहीं कर रही है।
नौहली, द्रुब्बल, पिपली, बिहूं, भराडू से लेकर मच्छयाल और जोगिन्दर नगर तक तथा दूंधा की पंचायतों से लेकर चुककु तक की जनता को कोटली की तरफ जाने के लिए और कोटली तुंगल की जनता को दूसरी तरफ जाने के लिए यही एक सड़क मार्ग है। इस पुल के न होने से सभी क्षेत्रों की जनता को आर-पार जाने के लिए मंडी होते हुए 60 किलोमीटर से ज्यादा का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ता है।
जिला परिषद सदस्य ने कहा कि पुल के बह जाने के बाद जो झूला यहाँ नदी के ऊपर लटकाया गया है वह कई बार बीच में ही अटक जाता है और उस झूले के अटकते ही उस पर सफर करने वालों और उनके परिजनों की साँसे भी अटक जाती हैं। जब यह पुल बहा था तो मैंने स्वयं मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यहाँ तुरंत ट्रैफिक ब्रिज के निर्माण और फौरी तौर पर वैली ब्रिज लगाने की मांग की थी। जिला परिषद की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया था। लोगों को साथ ले जाकर किसान सभा के माधयम से भी मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिये थे और स्वयं भी कई बार घटनास्थल का दौरा किया था।
कुशाल भारद्वाज ने कहा कि जब लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि नदी की चौड़ाई ज्यादा होने से वैली ब्रिज गाड़ियों का भार नहीं सह पाएगा तो मंडी में अधिकारियों से मिलकर तथा जिला परिषद की मीटिंग में अधिकारियों के फिर से साइट का दौरा करने और वैकल्पिक पुल के लिए एस्टिमेट बनाने के लिए कहा था। इसके लिए जिला परिषद में सर्वसम्मत प्रस्ताव भी पारित किया गया। उसके बाद तत्कालीन अधिशाषी अभियंता और अन्य अधिकारियों ने फिर से साईट विजिट कर नया प्लान और एस्टिमेट बनाकर भेजा। इस पर वित्त विभाग ने अड़ंगा लगाया तो लोक निर्माण मंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठाया। बाद में लोक इस पुल को मंजूरी मिली और इसका टेंडर भी हुआ और एक फर्म को काम भी अवार्ड हुआ।
दो महीने पहले लोक निर्माण मंत्री ने इसका शिलान्यास भी किया और कहा कि दो महीने के अंदर पुल बन जाएगा। इसके बाद 17 अक्तूबर को जब मुख्यमंत्री जी जोगिन्दर नगर आए तो प्रभावित पंचायतों के बहुत से लोग उनकी रैली में इस पुल का निर्माण शुरू करने के नाम पर भी पहुंचाए गए। पहले जय राम आते थे, एक-दो नेताओं की पीठ थपथपा कर और लोगों को घोषणाओं का झुनझुना थमाकर उनसे तालियाँ बजवा वापस चले जाते थे। उनके नक्शेकदम पर चल कर सुखविंदर सिंह सुखू ने भी यही किया। अभी तीन दिन पहले भी एक महिला उक्त झूले पर बीच नदी के ऊपर अटक गई थी और उनकी जान पर बन आई थी तो भराड़ू पंचायत के एक युवा महेश राजपूत जो कि आईआईटी कोटली में इंस्ट्रक्टर हैं ने अपनी जान को जोखिम में डाल कर रस्से पर लटक कर झूले तक पहुँच कर उन महिला की जान बचाई। उन्होंने कहा कि महेश राजपूत की इस बहादुरी के लिए हमें गर्व है। लेकिन सरकार का रवैया बेहद निंदजनक है।
कुशाल भारद्वाज ने सवाल किया कि पुल शिलान्यास के बावजूद और कार्य आबंटित होने के बावजूद इसके निर्माण का कार्य क्यों लटकाया गया है? उन्होंने प्रदेश सरकार को साफ चेतावनी देते हुए कहा कि हमने 16 महीने का काफी इंतजार और सब्र कर लिया। अब इस पुल के निर्माण के लिए वे स्वयं सभी प्रभावित क्षेत्रों में जा कर जनता की बैठकें कर दिसंबर महीने