शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने वर्चुअली माध्यम से सात दिवसीय आनलाईन पहाड़ी चित्रकला कार्यशाला का किया शुभारंभ

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। ठाकुर जगदेव चंद स्मृति इतिहास शोध संस्थान नेरी हमीरपरु, इतिहास विभाग नेता जी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महाविद्यालय हमीरपरु एवं संस्कार भारती, हिमाचल प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में आज सात दिवसीय आनलाईन पहाड़ी चित्रकला कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें शिक्षा, भाषा कला एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने मनाली से गूगल मीट वर्चुअली माध्यम से बतौर मुख्यातिथि जुड़कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. चेत राम गर्ग ने की। गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि हिमाचल के प्रत्येक जिले में अनेकों कलाकार ऐसे हैं जो प्रदेश की संस्कृति के संरक्षण तथा संवर्द्धन के कार्य में अहम भूमिका निभा रहे हैं। गांव में ऐसी इन सब छुपी हुई प्रतिभाओं की तलाश कर उन्हें तराशने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यूनान, मिश्र रोमा मिट गए सब जहान से लेकिन हस्ती मिटती नहीं हमारी। किसी भी देश तथा प्रदेश की कला एवं संस्कृति उसकी विशिष्ट पहचान होती है। इसलिए कला के क्षेत्र को आगे बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है। पहाड़ी चित्रकला को जीवित बनाए रखने के लिए इस दिशा में तेजी से कार्य करने की जरूरत है। चाहे कांगड़ा कलम हो, मंडी या कुल्लू कलम हो सब पर कार्य करना शुुरू किया गया है। उन्होंने सरकार तथा एनजीओज स्तर पर सबको परस्पर सहयोग के साथ बेहतर ढंग से कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। हिमाचल प्रदेश में कला के संरक्षण तथा संवर्द्धन के लिए बेहतरीन तरीके से कार्य हो, इसके लिए अलग से बैठक का आयोजन कर तथा विस्तार से विचार-विमर्श कर एक कार्य योजना को तैयार करना होगा। मुख्य संरक्षक चेत राम गर्ग निदेशक इतिहास शोध संस्थान नेरी, डाॅ. नंद लाल ठाकुर, डा. अदित्य गणनायक, संयोजक डा. राकेश कुमार शर्मा, संरक्षक डाॅ. अंजू बत्ता सहगल, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय हमीरपरु, सहायक प्राचार्य इतिहास, राजकीय महाविद्यालय हमीरपरु तथा प्रशिक्षक सुरेश कुमार चित्रकार पहाड़ी चित्रकला जिला कांगड़ा ने भी कार्यक्रम के दौरान अपने-2 विचार व्यक्त किए। इससे पहले डा. राकेश कुमार शर्मा ने मुख्यातिथि तथा अन्य गणमान्य अतिथियों का वर्चुअली माध्यम से स्वागत किया तथा इस कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम की शुरूआत असीम तथा विशाखा द्वारा खूबसूरत अंदाज में विद्या की देवी मां सरस्वती की वंदना से की गई ।

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