देवताओं का आगमन होते ही वाद्ययंत्रो की धुन से देवमय हुई तीर्थन घाटी, गुशैनी में ब्रेलंगा मेले की धूम

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सुरभि न्यूज़ (परस राम भारती) तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार। हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और सभ्ता बहुत समृद्ध है यहाँ पूरे प्रदेश भर में अनगिनत मेलों, त्यौहारों और धार्मिक उत्सवों का आयोजन किया जाता है जो पहाड़ी संस्कृति को वखूबी दर्शाता है। यह मेले और त्यौहार यहाँ के लोगों के हर्ष, उल्लास, श्रद्धा और खुशी का प्रतीक है। कुल्लू जिला में उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी के लोग भी जशन के हर अवसर का स्वागत करते है। तीर्थन घाटी के लगभग हर गांव में समय समय पर कई मेलों का आयोजन होता रहता है। यहां के अधिकांश मेले धार्मिक होते है। इन मेलों में यहां के स्थानीय देवी देवताओं की पूजा उपासना के इलावा एक विशेष लोक नृत्य नाटी का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें कुछ स्त्री पुरुष यहाँ के पारम्परिक परिधान पहन कर वाद्य यंत्रों की धुनों पर नाचते और गीत गाते हैं।

तीर्थन घाटी के केन्द्र बिन्दु गुशैनी गांव में भी हर साल आशिवन माह के 10 प्रविष्ट को एक दिवसीय ब्रैलंगा मेले का आयोजन किया जाता है जो इस बार भी हर वर्ष की भान्ति बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस मेले में हजारों की संख्या में स्थानीय लोगों के इलावा कुछ पर्यटकों ने भी हिस्सा लेकर मेला देखने का लुत्फ उठाया। माता गाड़ा दुर्गा के पुजारी हरीश शर्मा ने बताया कि पुराने जमाने में यह मेला नोहंडा कोठी के ब्रेलंगा गांव में मनाया जाता था जिसमें तीनों कोठी के लोग बंदल से माता की पालकी के साथ शामिल होते थे। इन्होने बताया कि उस समय इस मेले में केवल माता गाड़ा दुर्गा ही शामिल रहती थी जबकि घाटी के अन्य देवता इसमें भाग नहीं लेते थे। सदियों पहले लोगों ने माता से अर्ज करी थी कि इस मेले को घाटी के केन्द्र गुशैनी में मनाने की अनुमति दी जाए तब माता ने इसे सहर्ष स्वीकार किया था और अब माता गाड़ा दुर्गा के सम्मान में हर वर्ष आश्विन मास के 10 प्रविष्टे को गुशैनी में इस ब्रेलंगा मेले का अयोजन होता आ रहा है। अब हर वर्ष इस मेले में तीर्थन घाटी के अन्य देवता भी शामिल होते है। इन्होंने बताया कि इस मेले की एक विशेषता यह भी है कि जब तक गुशैनी में माता गाड़ा दुर्गा की पालकी का प्रवेश नहीं होता तब तक बाकी अन्य देवता नहीं आ सकते। माता गाड़ा दुर्गा की पालकी के मंदिर प्रांगण में प्रवेश होते ही अन्य देवता भी अपने अपने देवलुओं के साथ बजे गाजे की धुन में देव मिलन समारोह में शामिल होते है।

एक दिवसीय ब्रेलंगा मेले में घाटी की आराध्य देवी गाड़ा दूर्गा के इलावा स्थानीय देवता लोमश ऋषि गांव पेखड़ी, देवता चौरासी सिद्ध गांव नाहीं, देवता लक्ष्मी नारायण गांव तिंदर, देवता लक्ष्मी नारायण गांव फर्याड़ी, देवता कालीनाग गांव डिंगचा, देवता विमु नाग गांव जन्हार आदि से आए देवताओं ने भी अपने अपने सैंकड़ों हारियानों के साथ शिरकत कर के मेले की शोभा बढ़ाई है। इस मेले में विभिन्न गांव से पधारे देवताओं के देवरथों का मिलन दृश्य अलग ही नजारा पेश करता है। देव मिलन और देवताओं की पूजा उपासना के पश्चात यहां पर विशेष लोक नृत्य नाटी का आयोजन किया गया।

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