प्रदेश में है साढ़े 38 हजार किलोमीटर सड़कों का वृहद जाल: गोविंद सिंह ठाकुर

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू । हिमाचल दिवस का जिला स्तरीय समारोह कुल्लू के ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में धूमधाम के साथ मनाया गया। शिक्षा व कला, भाषा एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने तिरंगा फहराया और मार्च पास्ट की सलामी ली। इस अवसर पर संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने नैसर्गिक सौंदर्य से नवाजा है और विकास की दृष्टि से भी यह प्रदेश आज देशभर में अग्रणी स्थान पर है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री एवं हिमाचल निर्माता  डाॅ. वाई.एस.परमार ने प्रदेश को एक अलग पहचान दिलाई और विकास के लिए एक सशक्त आधार प्रदान किया। उन्होंने कहा कि  वर्ष 1971 में जब यह प्रदेश एक पूर्ण राज्य बना तो उस समय प्रदेश में 10 हज़ार 617 किलोमीटर लम्बी सड़कें थीं, साक्षरता दर 31.96 प्रतिशत थी। प्रदेश में 4 हज़ार 693 शैक्षणिक संस्थान तथा 587 स्वास्थ्य संस्थान थे। बिजली की सुविधा भी 3 हज़ार 249 गांवों में उपलब्ध थी। प्रति व्यक्ति आय भी मात्र 651 रुपये थी। आज प्रदेश में सड़कों की लम्बाई बढ़कर 38 हज़ार 470 किलोमीटर हो चुकी है। 10 हज़ार 508 गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ा जा चुका है।  वर्तमान में प्रदेश में शिक्षण संस्थानों की संख्या 15 हज़ार 553 है तथा साक्षरता दर 82.80 पहुंच गई है।  प्रदेश में 4 हज़ार 320 स्वास्थ्य संस्थान लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रहे हैं। प्रदेश के सभी गांवों में बिजली उपलब्ध है। गोविंद ठाकुर ने कहा कि हमारे लिए यह गर्व का विषय है कि हमने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजकर रखने के साथ-साथ आधुनिकीकरण को भी अपनाया है। जनमंच, मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन-1100 और प्रगति पोर्टल व ‘माई गोव’ जैसे नवाचार प्रयास, इस दिशा में उठाए गए महत्त्वपूर्ण कदम हैं। वृद्धजनों के प्रति आदर-सत्कार का भाव रखते हुए सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन पाने की आयु सीमा को 80 वर्ष से घटाकर 70 वर्ष किया गया तथा इसकी पात्रता के लिए कोई आय सीमा भी नहीं रखी गई। प्रदेश सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा पेंशन के 1 लाख 63 हजार 607 नए मामले स्वीकृत किए गए हैं।  प्रदेश में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 1 लाख 36 हजार परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन प्रदान किए गए, जिस पर 21 करोड़ 76 हजार रुपये व्यय किए गए हैं।  प्रदेश में महिलाओं को खाना पकाने के लिए धुएं भरे चुल्हे से छुटकारा दिलाने तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए हिमाचल गृहिणी सुविधा योजना आरम्भ की गई है। योजना के अन्तर्गत अब तक 2 लाख 91 हजार महिलाओं को निःशुल्क गैस कनेक्शन उपलब्ध करवाए जा चुके हैं।  दिसम्बर, 2019 में ही प्रदेश को चूल्हा धुंआ मुक्त राज्य घोषित किया गया था। इस प्रकार की उपलब्धि प्राप्त करने वाला हिमाचल देशभर में पहला राज्य बन गया है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रदेश में अब तक 3 लाख 34 हजार परिवारों ने गोल्डन कार्ड बनाए हैं। इस योजना के तहत अब तक 77 हजार 549 लाभार्थियों को लगभग 81 करोड़ रुपये की निःशुल्क इलाज की सुविधा प्रदान की गई है।  आयुष्मान भारत में कवर नहीं होने वाले प्रदेशवासियों के लिए प्रथम जनवरी, 2019 से हिमकेयर योजना आरम्भ की है जिसके तहत अब तक 4 लाख 61 हजार परिवार पंजीकृत हैं। हिमकेयर के तहत एक परिवार के पांच सदस्यों तक प्रतिवर्ष पांच लाख रुपये निःशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

योजना के तहत अब तक 1 लाख 25 हजार लाभार्थियों को 129 करोड़ 27 लाख रुपये के निःशुल्क इलाज की सुविधा प्रदान की जा चुकी है। पार्किन्सन, कैंसर, मस्कुलर डिस्ट्रोफी, अधरंग, किडनी फेलियर व टीबी जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ितों को स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त निरंतर देखभाल की भी आवश्यकता रहती है इसलिए सहारा योजना आरम्भ की गई है। योजना में आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को सहायता राशि के रूप में 3000 रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे हैं। अब तक 11 हजार 187 लाभार्थियों को योजना में कवर किया गया है तथा उन्हें 13 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश के 18 से 45 वर्ष के युवाओं को स्वावलंबन से जीवन-यापन करने के लिए राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना आरंभ की गई है। मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना के तहत 100 लाभार्थियों को लगभग 1 करोड़ 70 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। योजना के तहत नए उद्यम वाले युवाओं को एक वर्ष के लिए 25 हजार रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे हैं। हिम स्टार्टअप योजना के तहत 10 करोड़ रुपये का वैंचर फंड स्थापित किया गया है। प्रदेश में गरीब परिवारों को मुफ्त विद्युत कनेक्शन प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री रोशनी योजना आरम्भ की गई है। योजना के तहत लगभग 17,550 कनैक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 5862 लाभार्थी इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। राज्य में सभी गांवों और बस्तियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए महत्त्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना आरम्भ की गई है। इस मिशन के तहत जुलाई, 2022 तक सभी ग्रामीण घरों को नल से स्वच्छ एवं पर्याप्त पेयजल उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया है।