प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय वेबीनार से जुड़े कुल्लू के 4723 किसान

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। प्राकृतिक कृषि पर आयोजित राष्ट्रीय वैबीनार में कुल्लू जिला के 4723 किसान वर्चुअल माध्यम से जुड़ें। ये सभी किसान वर्तमान में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। जिला की 235 पंचायतों के किसानों ने वैबीनार से जुड़कर प्राकृतिक खेती के संबंध में विषय विशेषज्ञों के विचार सुनें और इसका समुचित लाभ प्राप्त किया। गौरतलब है कि वैबीनार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुख्य तौर पर संबोधित किया और हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किये जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने सत्ता में आते ही प्राकृतिक खेती की अवधारणा को अपनाया और इसके लिए अलग से 25 करोड़ का विशेष बजट प्रावधान किया। बीते तीन सालों में प्रदेश में कई हजार किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं और बिना कीटनाशकों व रासायनों के उत्पादों से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। वैबीनार से जुड़ी बंजार के तरगाली गांव की अनिता नेगी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2018 में प्राकृतिक खेती को अपनाया जब इसके बारे में प्रदेश सरकार व कृषि विभाग द्वारा लोगों को शिविरों के माध्यम से जागरूक किया जा रहा था। अनिता लगभग तीन बीघा भूमि में अलग-अलग प्रकार की नकदी सब्जियों का उत्पादन कर रही है जैसे मटर, गोभी, फ्रांसबीन, लहसुन व मिश्रित खेती। उनका कहना है कि प्राकृतिक उत्पादों के दाम दूसरों के मुकावले दो गुणा होते हैं। अनिता ने अर्ली वैराईटी सेब के पौधे भी लगाए हैं और अभी फसल कम हो रही है लेकिन दाम काफी अधिक मिल जाते हैं। वैबीनार में सुभाष पालेकर के विचार सुनकर हर कोई प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित होगा। वह नई-नई विधियां बताते हैं जिनसे किसानों को बड़ा लाभ पहुंच रहा है। इसी प्रकार, खाबल पंचायत के पुजाली गांव के ठाकुर दास से जब बात की तो उन्होंने बताया कि वह भी 2018 में ही प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित हुए। उनके पास साढ़े 7 बीघा भूमि है जिसमें सेब, स्टोन फल तथा मौसमी सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। ठाकुर दास का कहना है कि आरंभ में रसायनिक खाद न डालने से लगा कि फसल कम होगी, लेकिन कृषि विभाग के सहयोग और तकनीकी जानकारी का बड़ा लाभ मिला। भरपूर फसल हो रही है और इसके दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि प्राकृतिक तौर पर तैयार फल व सब्जियां जल्द खराब नहीं होते। हालांकि कोरोना के चलते अभी प्राकृतिक उत्पादों के अलग से विपणन की सुविधा नहीं मिल पाई है, लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों पर उन्हें भरोसा है।

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