राजनीति के महान सूर्य अस्त नहीं रहे राजा वीरभदर सिंह

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के राजनीति में अपनी अहम् भूमिका निभाने वाले राजा वीरभदर सिंह महान सूर्य आज इस दुनिया में नहीं रहे। आज सुबह 3.40 बजे उनका लम्बी बीमारी के बाद 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। 23 जून 1934 को सराहन शिमला में राजा खानदानी परिवार राजा पदम सिंह के घर जन्मे राजा वीरभदर सिंह आठ बार विधायक, छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे और पांचवीं बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं। पिछले आधे दशक में वे कोई चुनाव नहीं हारे। वीरभद्र सिंह 1962, 1967, 1972, 1980 और 2001 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके अलावा वे 1983, 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2007 तथा 2012 में विधायक रहे। 1983, 1985, 1993, 1998, 2003 और 2012 में उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। अपने 47 वर्षों के राजनैतिक सफ़र के दौरान उन्होंने 13 चुनाव लड़े और सभी जीते। सिंह हिमाचल कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वरिष्ठता के क्रम और हिमाचल प्रदेश के अकेले सांसद होने के कारण 22 मई 2009 को मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनने वाली केंद्र सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। तब वह इस्पाल मंत्रालय बनाए गये थे। इससे पहले भी वीरभद्र सिंह 1976 से 1977 तक केंद्र में नागरिक उड्डयन तथा पर्यटन राज्यमंत्री और 1982 से 1983 तक केंद्र में उद्योग राज्यमंत्री रहे हैं। राजनीति में उन्होंने अहम् भूमिका निभाने के साथ सिंह ने विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक निकायों के साथ भागीदारी की है। वह संस्कृत साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और सोवियत संघ के मित्र की हिमाचल प्रदेश शाखा के अध्यक्ष रहे हैं।

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