संरक्षण के अंतर्गत जरूरतमंद बच्चों के साथ मैत्रीपूर्ण दृष्टिकोण की आवयश्यकता

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग हिमाचल प्रदेश की अध्यक्ष बंदना योगी ने कहा कि देख-रेख व संरक्षण के अंतर्गत आने वाले जरूरतमंद बच्चों और विधि विरोधी बालकों के साथ मैत्रीपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। वह आज देवसदन में बाल संरक्षण अधिकार अधिनियम पर एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता कर रही थी। उन्होंने कहा कि बाल श्रम के मामलों की निगरानी की जानी चाहिए और ऐसा एक भी मामला हो तो इसे गंभीरतापूर्वक लिया जाना चाहिए। हालांकि जिला में 14 साल आयु तक कोई भी बाल मजदूरी का मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा यदि परिवार की आर्थिकी मजबूरी हो तो 14 से 16 वर्ष के बच्चे स्कूल के बाद अथवा अवकाश के दिनों मैस, खेल गतिविधियों, फिल्मों इत्यादि में काम कर सकते हैं। पारिवारिक व्यवसाय मंे भाग ले सकते हैं। जिला बाल सरंक्षण अधिकारी कृष्णा ने जिला बाल सरंक्षण इकाई की कार्यप्रणाली की समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि जिला में वर्ष 2014 से बाल सरंक्षण इकाई कार्य कर रही है जिसमें 13 कर्मचारी हैं। सदस्य सचिव ने जानकारी दी कि जिला में तीन बाल-बालिका गृह संचालित किए जा रहे हैं बाल गृह कलैहली की क्षमता 50 है। कोविड के चलते वर्तमान मं यहां केवल चार बच्चे रह रहे हैं और शेष बालक आॅनलाईन घर से पढ़ाई कर रहे हैं। इसी प्रकार बाल-बालिका गृह दर-उल-फजल मनाली के शुरू गांव में 80 की क्षमता है जिसमें वर्तमान में 21 लड़के व 19 लडकियां रह रही हैं। इसी प्रकार बाल-बालिका गृह चन्द्र आभा मेमोरियल स्कूल फाॅर ब्लाईण्ड सरवरी में 35 की क्षमता है। वर्तमान में कोविड के कारण इस आश्रम में कोई भी बच्चा नहीं है और सभी आॅनलाईन पढ़ाई कर रहे हैं। उनहोंने कहा कि कोविड-19 महामारी की स्थिति में बाल देखभाल संस्थानों से घर चले गए बालकों को मई 2021 से प्रतिमाह 2000 रुपये की दर से कुल 2,53,685 रुपये की राशि अभिभावकों अथवा बच्चों के खातों में डाली गई है। इसी प्रकार बाल-बालिका सुरक्षा योजना के तहत कुल 100 मामलों में अर्ध वार्षिक अनुदान राशि 14.42 लाख रुपये का भुगतान किया गया है।

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