दुर्गा बाई आर्य नाटक से हुआ नाट्योत्सव का आगा़ज

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सुरभि न्यूज़ (शारदा अरनोट) कुल्लू। आज़ाादी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य पर ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू, संस्कार भारती हिमाचल प्रदेश  द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू के संयुक्ततत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय ज़िला स्तरीय ‘कुल्लू नाट्योत्सव’ का शानदार आगा़ज एकाग्र कला मन्च कुल्लू द्वारा प्रस्तुत नाटक ‘दुर्गा बाई आर्य’ से हुआ। केहर सिंह ठाकुर द्वारा लिखित इस नाटक का सफल निर्देशन युवा रंगकर्मी ममता द्वारा किया गया। नाटक की प्रस्तुति में काजी  नज़रूल इस्लाम द्वारा रचित गीत ‘कौमी तिरंगे झण्डे ऊँचे रहो जहाँ में’, गाँधी जी का गीत ‘वैश्णव जन तो और बन्दे मातरम् के साथ साथ ‘‘भाई दो न पाई दो’’ तथा ‘‘साईमन कमीशन गो बैक’ जैसे नारों से  कलाकेन्द्र गूँजा।

नाटक में हिमाचल प्रदेश  के ऊना क्षेत्र की रहने वाली दुर्गा बाई आर्य के आज़ादी के लिए संघर्ष के बारे में बताया है कि कैसे वह एक महिला होते हुए भी भारत की आजा़दी की लड़ाई में अभूतपूर्व योगदान देती है। दुर्गा बाई आर्य ने अपना सारा जीवन महात्मा गान्धी के पदचिन्हों पर चलते हुए अपना सर्वस्व आज़ादी के लिए झोंक दिया। यही नहीं उनके परिवार के सभी सदस्य अपने अपने स्तर पर आज़ादी की लड़ाई में योगदान दे रहे थे। उनके पति लछमण दास आर्य अक्सर जेल यात्राएं करते रहे। उनके तीनों बेटे भी स्वतंत्रता संग्राम में जुट गए थे। ऐसे में दुर्गा बाई आर्य भी चुल्हा चौका सम्भालते हुए भी अदम्य साहस से आज़ादी की लडाई लड़ रही थी।

भारतीय राश्ट्रीय कांग्रेस में प्रवेश  पाकर सपरिवार खादी पहनने का व्रत लिया। दुर्गा बाई आर्य ने महिलाओं को संगठित कर उन्हें सूत कातना, दरी बनाना सिखाना आरम्भ किया और महिला खादी संगठन बनाकर विदेशी वस्तुओं का भी बहिष्कार किया। महिला कांग्रेस का भी ऊना क्षेत्र में गठन कर डाला। दुर्गा बाई आर्य और उनके बेटों तथा पति बाबा लछमण दास आर्य ने साईमन कमीशन, भारत छोड़ो आदि कई आन्दोलनों में भाग लिया और एक स्वाधीन देश बनाने में भरपूर योगदान दिया। अंग्रेज़ों द्वारा स्वराज देने से इन्कार करने पर दुर्गा बाई आर्य ने परिवार के साथ मिलकर प्रचार किया कि इन गोरों को ‘न भाई दो न पाई दो’।

यहाँ तक कि एक समय कांग्रेस का कार्यालय उनके ही घर से चलता था। भारत की आज़ादी तक वह कंधे से कंधा मिलाकर लड़ती रही और भारत को आज़ादी मिलने के बाद चुपचाप मुड़ गई अपने घरेलू कार्यों की ओर इस सोच के साथ कि एक एक घर अगर समृद्ध होगा तो देश अपने आप समृद्ध हो जाएगा। मंच पर कल्पना, प्रेरणा, वन्दना, सकीना, लक्ष्मी, रीया, दीपाली और कुमकुम आदि कलाकारों ने अपनी अपनी भूमिकाओं को बेहतरीन अन्जाम दिया।

जबकि निर्देशन के साथ साथ अलोक व मेकअप का कार्य ममता ने ही बखूबी सम्भाला। नाटक को ऐक्टिव मोनाल के फेसबुक पेज कर सेंकड़ों दर्शकों ने लाईव स्ट्रीममिंग में देखा और सराहा जबकि कलाकेन्द्र में सीमित संख्या में आमन्त्रित दर्शकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई और नाटक और कलाकारों की तालियों की गड़गड़ाहट से मुक्त मन से तारीफ की। लाईव स्ट्रीमिंग में केमरा पर भरत व मीनाक्षी रहे जबकि सांउड पर जीवानन्द और लाईव स्ट्रीमिं का कार्य वैभव ठाकुर ने सम्पन्न किया।

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