सुरभि न्यूज़ आनी। हिमाचल किसान सभा निरमण्ड की बैठक खण्ड इकाई निरमण्ड के उपाध्यक्ष अमित कुमार की अध्यक्षता में निरमण्ड में हुई। इस बैठक में 25 नवम्बर को अखील भारतीय किसान सभा के आह्वान पर होने वाले देश व्यापी प्रदर्शन पर चर्चा की गई।इस बैठक को सम्बोधित करते हुए किसान सभा जिला महासचिव देवकी नंद,किसान सभा निरमण्ड ब्लॉक के सचिव जगदीश व अमित ने कहा कि देश में शांतिपूर्ण तरीके से चले सयुंक्त किसान आंदोलन को इस दिन एक साल पूरे होने है परन्तु केंद्र की सरकार किसानों की मांगों पर गौर नहीं कर रही है जिसमें लाखों किसान शामिल है और 600 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं।केंद्र की मोदी सरकार किसानों की उचित मांगो पर गौर ना करके पूंजीपतियों के साथ खड़ी है।सरकार की नवउदारवादी नीतियों से किसानी आज संकट के दौर से गुजर रही है, किसानों को मिलने वाली सरकारी सहायता को खत्म किया जा रहा है जिस कारण किसानों व बागवानों को बाजार से महंगी दवाइयां, खाद व बीज खरीदना पढ़ रहा है जिससे खेती लाभकारी न होकर घाटे का सौदा बन रही है।इन नीतियों के कारण किसान आत्महत्या कर रहा है 1991 के बाद आज तक इन नीतियों के कारण लगभग 4 लाख किसान आत्महत्या कर चुका है।इसलिये किसान आज देश के अलग अलग हिस्सों में इन नीतियों का विरोध कर रहा है और केंद्र की भाजपा सरकार से डॉक्टर स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिपरिशों को लागू करने की बात कर रहा है जिसको लागू करने का वायदा लेकर यह सरकार सत्ता में आई थी परंतु आज यह सरकार उन वायदों को भूल कर किसान विरोधी तीन कृषि कानून लाकर किसानी व किसानों को बर्बाद करने का काम कर रही है।कोरोना काल का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार के नेतृत्व में हिमाचल व कई प्रदेश की सरकार ने आम जनता, मजदूरों व किसानों के लिए आपदाकाल को पूंजीपतियों व कॉरपोरेट्स के लिए अवसर में तब्दील कर दिया है। मजदूरों के 44 कानूनों को खत्म करने, सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने का कार्य कर रही है। उन्होंने ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा कानून के लिए उचित बजट न मिलने से मनरेगा में लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है जहां रोजगार मिल भी रहा है वहां पर लोगो को मजदूरी नहीं मिल रही है अभी भी कई लोगों को पिछले पांच महीने से मनरेगा की मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है जिस कारण इन लोगों को इस मंहगाई के दौर मे अपने परिवार को चलाना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि खुद को गरीबों की सरकार कहने वाली मोदी सरकार गरीबों को खत्म करने पर आमदा है। देश में महंगाई पर काबू न करने से आम लोगों को आर्थिक तौर पर कमज़ोर किया गया है।आवश्यक बस्तुओं के दाम में लगातार बढ़ोतरी करके और ज्यादा हमला करके ऐसी स्थिति में मुश्किल से अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है।खाद्दय वस्तुओं के अलावा गैस सीमेंट,सरिया की दाम लगातार बढ़ रहे हैं।सरकार बेशर्मी से देश मे मजदूरों व किसानों को दबाने में लगी है इस महामारी का फायदा उठाकर मजदूरों किसानों से जुड़े कानूनों को बदल दिया है। बैठक में निर्णय लिया गया है कि मजदूरों व किसानों की मांगों को लेकर जिसमें तीन कृषि कानूनों व बिजली विधेयक 2020 को वापिस लेने,मनरेगा में 200 दिन का रोजगार व मजदूरी 300 रुपये करना,मंहगाई को कम करना,निरमण्ड ब्लॉक में सरकारी विभाग में खाली पदों को भरना,निरमण्ड में S D M की तैनाती करना,सभी सड़कों को पक्का करना,जिन स्वास्थ्य केंद्रों को अभी हाल ही मे स्तरोन्नत किया गया वहां पर डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की भर्ती करना है। बैठक मे रूप चंद,रमेश कुमार,कश्मीरी लाल,राज कुमारी,दूनी चंद,हेमंत कुमार,अनुराज,दुर्गा नंद,इंदिरा नेगी,आशादेवी,पुनमा देवी,सुमना देवी,डॉली,खीम दासी,लोक राज,सुषमा,अनूप राम ,पदम, नीमा देवी,आदि शामिल थे।
2021-11-09