सुरभि न्यूज़ कुल्लू। बहिरंग थिएटर ग्रुप कुल्लू एवं लाहौल स्पिति द्वारा पिरड़ी स्थित राजकीय प्राथमिक पाठषाला बदाह -1 में बाल सभा के दौरान कुल्लू के स्वतन्त्रता सेनानी श्यामानंद पर आधारित नाटक ‘स्वतन्त्रता सेनानी श्यामानन्द’ का भावपूर्ण मंचन किया। रंगकर्मी आरती ठाकुर द्वारा पिरड़ी व आसपास के गांवों के बच्चों की एक माह की नाट्य कार्यशाला आयोजित की थी और उसी में यह नाटक विकसित किया गया। आरती ठाकुर द्वारा ही लिखित व निर्देशित इस नाटक को स्कूल के प्रांगण में बच्चों, अध्यापकों तथा अविभावकों ने देखा और बहिरंग थिएटर ग्रुप के इस प्रयास को खूब सराहा।
विद्यालय की उप मुख्य अध्यापिका रीना कम्बोज ने मंचन के बाद बच्चों अध्यापकों तथा अविभावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस प्रकार की गतिविधियों से बच्चों का सर्वागींण विकास बहुत ही जल्दी होता है और हमारे सकूल में इस तरह की गतिविधियों को बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए भविष्य में प्रमुखता से स्थान देने की कोशिश करेंगे। उन्होंने बहिरंग की अध्यक्ष आरती ठाकुर का धन्यवाद किया कि इससे बच्चों को कुल्ल के स्वतन्त्रता संग्राम के योद्वाओं की जानकारी मिली। श्यामानन्द कुल्ल ज़िला के निरमण्ड क्षेत्र के रामपर के निकट दरमोट गांव के रहने वाले थे। उनका स्वतन्त्रता संग्राम के आन्दोलनों में सक्रिय सहभगिता रही है। रामपुर के मिडल स्कूल से आठवीं पास स्वाभिमानी श्यामानंद ने ब्रिटिश शासन की फाॅरेस्ट गार्ड की नौकरी छोड़ कर अपने ही गांव में स्कूल खोल कर बच्चों को पढ़ाने लगे।
1922 में गांधी जी के साथ असहयोग आन्दोलन में भाग लेने गए और उसके बाद अंग्रेज़ों के खिलाफ बगाबत कर दी और पूरे गांव को अपने साथ कर दिया। राजा की बेगारी बंद करवा दी कर देना भी बन्द कर दिया। पूरे इलाके ने उस समय सरकार को किसी तरह का कर नहीं दिया। इस वजह से वे कई बार जेल भी गए। 1930 में उन्हें दो बार जेल जाना पड़ा परन्तु वे चुप न रहे। जेल से छूटने के बाद फिर से संग्राम जारी रखा। देश आज़ाद होने के बाद वे पेंशन न पा सके। आखिर तक पेंशन के लिए दफ्तरों के चक्कर काटते रहे और अन्त में 1989 में अपने जीवन से हार गए। नाटक में अकांक्षा, रागिनी, कुनाल, गीतांजली चुनेष्वरी, दुर्गा, भावना, गुंजन, भारती, इशात, हंसिका, वैशाली आदि कलाकारों ने अपनी अपनी भूमिकाएं बखूबी निभाई।