समानता और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं डॉ. अम्बेडकर-गोविंद ठाकुर

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। पतलीकूहल में डॉ. भीमराव जयंती समारोह धूम धाम से मनाया गया जिसमें शिक्षा व कला, भाषा एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्वाजंलि भी अर्पित की। उन्होंने कहा कि भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर समानता और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने जीवन भर समाज में समानता के लिये संघर्ष किया। आज का दिन उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिये समानता तथा ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

गोविंद ठाकुर ने कहा कि बाबा साहिब अम्बेडकर की सोच थी कि प्रत्येक व्यक्ति पढ़ा-लिखा हो और विशेषकर महिलाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि एक समृद्ध समाज की स्थापना हो सके। उन्होंने समाज के पिछडे़, मजलूमों व दलितों के उत्थान के लिये कड़ा संघर्ष किया और इन वर्गों को समाज की मुख्यधारा में लाने का कार्य किया। बाबा साहिब का मानना था कि देश से जातिवाद को समाप्त किया जाना चाहिए।

समाज में समरसता तब तक नहीं आ सकती जब कि जातिवाद जैसी कुरीतियों समाज में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि भाषायी विषमताएं समाज की उन्नति में बाधा हैं। इनको दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अनेक भाषाएं सीखनी चाहिए ताकि वह देश में कहीं पर भी अपने आप को सक्षम समझें। उन्होंने कहा कि वह समाज में नशे जैसी बुराई के प्रबल विरोधी थे। उनका मानना था कि युवाओं को केवल और केवल अच्छी शिक्षा ग्रहण करने का नशा होना चाहिए ताकि देश की तरक्की में उनका योगदान हो। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर के विचार आज भी प्रासंगिक हैं।

युवा पीढ़ी को उनके विचारों की जानकारी होना जरूरी है। उनका मानना था कि वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास को भूल जाते हैं। इससे पूर्व, गोविंद ठाकुर ने मनाली माल रोड़ के समीप भी बाबा साहिब की जयंती समारोह के मौके पर पुष्पांजलि अर्पित की। हि.प्र. भाजपा उपाध्यक्ष धनेश्वरी ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि बाबा साहिब के सामाजिक-राजनैतिक विचारों को पूरे राजनीतिक परिवेश में सम्मानित किया जाता है। जीवन का कोई क्षेत्र नहीं है जो अंबेडकर के विचारों से प्रभावित न हो। उन्होंने अशिक्षित और निर्धन लोगों को जागरूक बनाने के लिये काम किया। मूक और अशिक्षित तथा निर्धन लोगों को जागरूक बनाने के लिये मूकनायक और बहिष्कृत भारत साप्ताहिक पत्रिकाएं सम्पादित की।इस अवसर पर महिला मण्डलों व स्थानीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।

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