जोगिन्दर नगर में उच्च मूल्य के औषधीय पौधों की खेती बारे दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

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सुरभि न्यूज़
जोगिन्दर नगर

 हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्रों में उच्च मूल्य के औषधीय पौधों की खेती बारे दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर में किया गया। हिमाचल प्रदेश जैव विविधता बोर्ड एवं आयुष मंत्रालय राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड द्वारा प्रदेश के तीन जिलों कांगड़ा, ऊना व हमीरपुर की जैवविविधता समितियों के सदस्यों के लिये आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान जोगिन्दर नगर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में तीन जिलों से जैवविविधता समितियों के 50 सदस्यों ने भाग लिया।
राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अरूण चंदन ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों ऊना, हमीरपुर व कांगड़ा के ऐसे क्षेत्रों से संबंध रखने वाली जैवविविधता समितियों के लिये महत्वपूर्ण औषधीय पौधों के संरक्षण, संवर्धन एवं कृषिकरण को लेकर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई जिनकी समुद्रतल से ऊंचाई एक हजार मीटर से कम है। उन्होने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला में सर्पगंधा, कलिहारी, अश्वगंधा, पुनर्नवा, ज्योतिषमति, ब्राह्मी, सहजन इत्यादि औषधीय पौधों व जड़ी बूटियों के कृषिकरण, विपणन तथा मूल्य संवर्धन बारे में जानकारी दी गई।
उन्होने बताया कि दो दिनों तक  चले इस कार्यक्रम में राज्य जैवविविधता बोर्ड के विनीत नेगी व अमन गुप्ता ने पंचायत स्तर पर जन जैवविविधता पंजिका की व्यावहारिक जानकारी दी तथा जैव विविधता अधिनियम-2002 के अंतर्गत पंचायत स्तर पर गठित जैवविविधता प्रबंधन समिति के वित्तपोषण बारे मार्गदर्शन किया। साथ ही निर्णय लिया कि राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड तथा राज्य जैवविविधता बोर्ड मिलकर जड़ी बूटियों के एकत्रीकरण बारे प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया पर भी काम करेंगे।
इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में डॉ. अरूण चंदन के अतिरिक्त प्रोफेसर डीआर नाग ने जहां प्रदेश में जैव विविधता के संरक्षण की आवश्यकता को समय की जरूरत बताया तो वहीं संस्थान के प्रभारी उज्ज्वल दीप शर्मा ने नर्सरी तकनीकों की मूलभूत जानकारी दी। क्षेत्रीय केंद्र की तकनीकी अधिकारी डॉ. शीतल चंदेल ने औषधीय पौधों में जैविक प्रक्रियाओं व भूमि के संरक्षण की आवश्यकता और उपजाऊपन बढ़ाने की जानकारी दी जबकि उपनिदेशक डॉ. सौरभ शर्मा ने सहजन, ब्राह्मी, चित्रक, दम बूटी की कृषि तकनीकों बारे मार्गदर्शन किया। इसके अलावा वन परिक्षेत्र अधिकारी देवेंद्र डोगरा ने वन विभाग के माध्यम से चलाई जा रही वन समृद्धि, जन समृद्धि, सामुदायिक वन संवर्धन योजना के साथ-साथ जैवविविधता समितियों के लिये योजनाओं के साथ-साथ वनाधिकार अधिनियम की विस्तृत जानकारी दी।

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