दलाश का ऋषि पंचमी मेला देव आगमन के साथ शुरू, देवताओं पर होती है सेव, अखरोट व अन्न की वर्षा

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सुरभि न्यूज़
सी आर शर्मा, आनी
आनी के सिरिगढ क्षेत्र दलाश का प्राचीन व ऐतिहासिक ऋषि पंचमी मेला रविवार को देव आगमन के साथ शुरू हो गया। मेले में क्षेत्र के आराध्य गढपति देवता जोगेश्वर महादेव व खोडू देवता अपने दिव्य रथ में विभिन्न अलंकरणों से सुस्सजित होकर निकले।
पारम्परिक वाद्य यंत्रों की थाप पर कारकूनों व सैंकड़ों देवलुओं संग पूरे लाव लश्कर के साथ मेला स्थल सौ पधारे जहाँ देवलूओं ने देवता संग खूब नृत्य किया।
वर्षा के देवता वयूंगली नाग भी दिव्य रथ में सवार होकर देव वाद्य यंत्रों की थाप के साथ मेला स्थल पहुंचे जहाँ तीनों देवताओं का आलौकिक मिलन हुआ।
 मेले में पधारी ग्रामीण महिलाओं ने देवताओं पर पुष्प, अखरोट, सेब तथा अनाज की बौछार कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए और नतमस्तक होकर देवताओं से परिवार व क्षेत्र के लिए सुख समृद्धि का आशिर्वाद लिया।
क्षेत्र के ज्योतिष आचार्य पं. उमाशंकर दीक्षित व स्थानीय दलाश पँचायत के प्रधान सत्येन्द्र शर्मा ने बताया कि दलाश का ऋषि पंचमी मेला सिरिगढ क्षेत्र का प्रमुख मेला है जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है।
दो वर्षों में कोरोना महामारी के चलते यह मेला आयोजित नहीं हो पाया। मगर इस वर्ष मेला बड़ी धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि यहां के आराध्य देवता जोगेश्वर महादेव इस बार 6 सितंबर को कुमारसैन क्षेत्र के ऐतिहासिक चार साला मेला में शिरकत करेंगे जिसमें देवता संग लगभग 5 हजार देवलू शामिल होंगे।
इस मौके पर देवता जोगेश्वर महादेव अपने बड़े भाई कोटेश्वर महादेव से भी लगभग 80 साल के बाद मिलेंगे। दो भाईयों का यह दिव्य व आलौकिक मिलन बेहद दर्शनीय होगा।

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