सुरभि न्यूज ब्यूरो
कुल्लू
स्थानीय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन ने अपने पांच दिवसीय वार्षिक नाट्योत्सव ‘कुल्लू रंग मेला’ का संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से तथा भाषा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू व ज़िला सांस्कृतिक परिषद् कुल्लू के संयुक्त तत्वावधान में कुल्लू के लाल चन्द प्रार्थी कलाकेन्द्र में अपने नए हास्य नाटक ‘बिच्छू’ के मंचन से शानदार आग़ाज़ किया।
फ्रांस के विष्वविख्यात नाटककार मौलियर के इस नाटक का हिमाचलीकरण तथा निर्देशन रंगकर्मी केहर सिंह ठाकुर ने किया। इस हास्य नाटक को अभिनेताओं ने अपने सधे हुए अभिनय से कुछ ऐसे खेला कि दर्शक ठहाके लगाने को मजबूर हुए। इसमें मूल भाषा हिन्दी रखते हुए हिमाचली बोलियों के बहुत से शब्दों तथा स्लेंग का भरपूर इस्तेमाल किया गया।
नाटक की कहानी सीधी सादी सी थी कि सेब के दो व्यापारी हैं लाला राम दास और लाला शाम दास। उनके बेटे हैं एक का नाम अजु और दूसरे का मुनीष और नौकर भी हैं एक का नाम हमेष और दूसरे का गोपू।नौकर गोपू बहुत ही शातिर है और अजु और मुनीष की ज़रूरत के लिए उन दोनों के बापों से पैसे निकलवाता है। लाला राम दास अपनी बेटी की शादी लाला शाम दास के बेटे मुनीष से करवाना चाहता है जो उसकी दक्षिण भारत में की दूसरी शादी से पैदा हुई है।
जबकि लाला राम दास का बेटा अजु एक खानाबदोष लड़की के प्रेम में पड़ा है और उससे शादी करना चाहता है। लेकिन लाला रामदास का अहम् इस कदर ऊँचा है कि वह एक ऐसी लड़की को अपने घर की बहू नहीं बनाना चाहता जिसके खानदान का ही पता न हो।
लेकिन अन्त में किस्मत कुछ ऐसा खेल खेलती है कि मुनीष जिसके प्रेम में पड़ा होता है व लाला राम दास की वह बेटी ही निकलती है जो उसकी दूसरी बीवी से थी और वह खानाबदोष लड़की बचपन मे खोई हुई लाला शाम दास की ही बेटी निकलती है।
पारिवारिक ताने बाने मे बुना हुआ यह नाटक बहुत सी ऐसी परिस्थितियां प्रस्तुत करता है जिसने दर्शकों को हंसने के लिए मजबूर कर दिया। नाटक में केहर सिंह ठाकुर, रेवत राम विक्की, वेद प्रकाष, आरती ठाकुर, कल्पना, सूरज, श्याम लाल, जीवानन्द, पूजा, भूषण देव व परमानन्द आदि कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया। जबकि वस्त्र व आलोक परिकल्ना मीनाक्षी की रही और बतौर सहायक वैभव ठाकुर ने अपना कार्य किया।