एसजेवीएन कर्मियों ने मुख्यमंत्री राहत कोष को एक दिन के वेतन के दिए 55 लाख अंशदान

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो 

कुल्लू 

प्राकृतिक व अन्य आपदाओं में सरकारी, गैर सरकारी कर्मचारियों का तथा अन्य विभिन्न संस्थाओं का आर्थिक सहयोग आपदा पीड़ितों के लिए बहुत बड़ा बरदान सिद्ध  होता है। इनके द्वारा दान की गई राशि प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ितों के लिए हुए नुक्सान की पूर्ण रूप से भरपाई तो नहीं कर पाती है परन्तु इस कठिन समय में सहारा जरुर बनती है।

कोरोना काल में केंद्रीय कर्मचारियों तथा अन्य सरकारी, गैर सरकारी कर्मचारी व विभिन्न संस्थायों ने बहुत बड़ा आर्थिक योगदान के साथ मानवता सेवा में भी बड़ा सहयोग दिया है। हाल ही में 9 से 11 जुलाई तक हुई भारी बारिश के कारण कुल्लू मंडी व अन्य जिलों में प्राकृतिक प्रकोप से बहुत भारी नुकसान हुआ है, जिससे कई लोगों के घर, जमीन तथा जान माल का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है।

इस कठिन समय में बाढ़ से पीड़ित लोगों की आर्थिक सहायता करने के लिए विभिन्न संस्थाएं सरकारी,  गैर सरकारी कर्मचारी व संघ मुख्यमंत्री राहत कोष में आर्थिक योगदान देने में आगे आ रहे है जिसमें एसजेवीएन कर्मचारियों ने स्वेच्छा से मुख्यमंत्री राहत कोष में अपने एक दिन के वेतन के रूप में करीब 55 लाख रुपए का अंशदान किया है। वहीं हिमाचलप्रदेश पथ परिवहन निगम ड्राइवर यूनियन के बाद प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ और प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी मुख्यमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन आपदा की इस घड़ी में एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का ऐलान किया है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कांग्रेस के सभी 40 विधायक आपदा राहत कोष में अपनी एक महीने की तनख्वाह दान करेंगे।  इसके अलावा सरकार भारतीय जनता पार्टी के विधायकों से भी एक महीने की तनख्वाह दान करने का आग्रह करेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि आईएएस एसोसिएशन और एचएसएससी एसोसिएशन ने अपने एक-एक दिन का वेतन इस राहत कोष में पहले ही दे दिया है।

उल्लेखनीय है कि जिन एचआरटीसी चालकों को पिछले दो-तीन सालों से सरकार समय पर सैलरी नहीं दे पाती। उन्होंने सबसे पहले एक दिन का वेतन आपदा के लिए देने की घोषणा की। अब हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने भी सभी कर्मचारियों से एक दिन का वेतन  मुख्यमंत्री राहत कोष में देने की अपील की है।

प्रदेश में करीब 2.50 लाख कर्मचारी है। ऐसे में सभी कर्मचारी एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देते है तो इससे सरकारी खजाने में
लगभग 50 करोड़ की रकम इकट्ठी होगी। हिमाचल सरकार पहले ही 76 हजार करोड़ से ज्यादा के कर्ज में डूबी हुई है। 10 हजार करोड़ से ज्यादा की देनदारी कर्मचारियों व पेंशनर की सरकार के पास बकाया है। ऐसे वक्त में करीब 4 हजार करोड़ का नुकसान 4 दिन की भारी बारिश से हुआ है।

ऐसे में कर्मचारियों का फैसला सराहनीय है। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के राजीव चौहान, एलड़ी चौहान, नृपजीत सिंह ठाकुर, मस्त राम बरागटा, जय कृष्ण शर्मा, हरिंदर मेहता, अश्वनी चौहान, गोपाल सिंह वर्मा ने सभी कर्मचारियों से एक दिन का वेतन देने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि जब सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग पूरी कर सकती है, तो कर्मचारियों का भी दायित्व बनता है कि इस संकट की घड़ी में सरकार का हर संभव सहयोग करें।

संकट की घड़ी में सरकार के साथ हिमाचल पथ परिवहन निगम के ड्राइवर यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष मान सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में भारी बारिश से काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। उनका कहना है कि इस संकट की घड़ी हिमाचल पथ परिवहन निगम ड्राइवर सहायता का हाथ बढ़ाते हुए एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान करेगी।

एसजेवीएन कर्मचारियों ने स्वेच्छा से मुख्यमंत्री राहत कोष में अपने एक दिन के वेतन के रूप में करीब 55 लाख रुपए का अंशदान किया। एसजेवीएन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा ने बताया कि एक जिम्मेदार कारपोरेट निकाय के रूप में तथा हिमाचल प्रदेश में लगातार वर्षा एवं विनाशकारी बाढ़ की स्थिति की गंभीरता को समझते हुए अंशदान का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि एसजेवीएन ऐसी विकट परिस्थितियों में समाज एवं सरकार का सहयोग करने में हमेशा अग्रणी रहा है।

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