सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
कुल्लू, 3 मार्च
स्थानीय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन द्वारा उत्तर क्षे़त्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला के सहयोग से भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे नौ दिवसीय ‘कुल्लू राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव’ की दूसरी संध्या संवाद थिएटर ग्रुप चण्डीगढ के कलाकारों ने डाॅ शंकर षेश द्वारा लिखित नाटक ‘एक और द्रोणाचार्य’ का भव्य तथा प्रभावशाली मंचन मुकेश शर्मा के निर्देशन में किया।
इस नाटक में वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार, पक्षपात, राजनैतिक घुसपैठ तथा आर्थिक एवं सामाजिक दबावों के चलते निम्न मध्यवर्गीय व्यक्ति के असहाय बेबस चरित्र को उद्वघाटित किया है। महाभारत कालीन प्रसिद्ध पात्र द्रोणाचार्य के जीवन प्रसंगों को आधार बनाकर वर्तमान विसंगति को दिखाया गया। नाटक में गुरू द्रोणाचार्य के जीवन प्रसंगों की संवेदनशील झांकियाँ प्रस्तुत की गई।
अश्वत्थामा की माँ कृपी से दूध पीने की याचना करना, द्रोणाचार्य का कौरव पाण्डव कुमारों का आचार्य बनना, द्रौपदी का चीरहरण करना और युधिष्ठिर अर्धसत्य बोलना, इन सभी प्रसंगों के आधार पर प्रोफ़ेसर अरविंद के जीवन की त्रासदी को अभिव्यक्त किया गया है। नाटक की कहानी दो स्तरों पर चलती है एक तरफ द्रोणाचार्य जो द्रुपद द्वारा किए गए अपमान का बदला लेने और अपनी गरीबी से निजात पाने के लिए कौरवों और पाण्डवों का आचार्य बनता है जिसमें दिखाया गया कि कैसे वह कदम दर कदम समझौता करता जाता है।
दूसरी तरफ प्रोफैसर अरविन्द जो हालात के साथ गुरू द्रोण की ही तरह समझौता करता दिखाया गया। जिसमें एक तरफ गुरू द्रोण की पत्नी कृपी है तो दूसरी तरफ अरविन्द की पत्नी जो दोनों उन्हें उनकी गरीबी का एहसास करवाती हैं। इस पर दोनों ही हालात के साथ समझौता पर समझौत करते जाते हैं।
नाटक में अरविंद शर्मा, रजनी बजाज, नीरज, अनामिका, कमल भारद्वाज, राजन अरोड़ा, हिमांशी राजपूत, सौरभ आचार्य, हनी शर्मा, कृष्णा भट्ट, रमा रानी त्रिपाठी, प्रवीण, सुषांत आदि कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दूसरी संध्या में बतौर मुख्य अतिथि ए डी एम कुल्लू अश्वनी कुमार ने शिरकत की।