निशुुल्क नाट्य कार्यशाला में नाटक काक भगोड़़ा से बच्चों ने खूब हंसाया

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो

कुल्लू, 22 मई

स्थानीय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएयशन द्वारा कुल्लू के सरकारी स्कूलों में आयोजित की जा रही निशुुल्क नाट्य कार्यशालाओं में राजकीय माध्यमिक पाठशाला में दूसरी कार्यशाला का समापन प्रतिभागी बच्चों के साथ कार्यशाला के दौरान तैयार हुए लघु नाटक ‘काक भगोड़ा’ के सुन्दर मंचन से हुआ जिसे प्राथमिक व मिडल स्कूल शमशी के छात्रों, अध्यापकों तथा टीचिंग प्रैक्टिस पर आए बी एड प्रशिक्षुओं ने देखा और बच्चों का अभिनय देखकर ठहाके लगाए।

संस्था के रंगकर्मी परमानन्द द्वारा 21 दिन तक संचालित इस कार्यशाला में 41 बच्चों ने भाग लिया और अपनी व्यक्तित्व को निखारा। समापन अवसर पर खण्ड शिक्षा अधिकारी डी आर आनन्द, विद्यालय के मुख्य अध्यापक अरविन्द तथा राजकीय केन्द्रीय प्राथमिक पाठशाला की मुख्य अध्यापिका सुनीता भार्गव विशेष रूप से उपस्थित रहे और नाटक के समापन पर प्रतिभागी बच्चों के अभिनय की प्रशंसा की और आयोजक संस्था का कार्यशाला आयोजित करने के लिए धन्यवाद प्रकट किया।

नाटक काक भगोड़़ा से बच्चों ने खूब हंसाया और तालियां बटोरी। नाटक में एक किसान के खेत में बहुत से पक्षी जिसमें कौवा, तोता, कबूतर, गौरैया तथा अन्य चिड़िया दाना चुगने आते हैं और नाचते गाते हैं। तभी किसान का बेटा हरिया आता है। वो उन्हें वहाँ से भगा देता है और उन सब चिड़ियों को डराने के लिए खेत में काक भगोड़ा लगा देता है। ताकि कोई भी चिड़िया डर के मारे खेत में न चुग पाए। कौवा और कुछ चिड़ियाँ खेत में वापिस आते हैं। पर कौवा हिम्मत दिखाता हुआ काक भगोड़े से तिनका निकाल देता है। फिर एक राहगीर आता है काक भगोड़े को देखकर उसकी जगह ले लेता है। तभी फिर से कौवा और कुछ चिड़ियां वापिस आ जाते हैं। कौवा उसे नकली सम-हजयकर उसे चोंच मारता है लेकिन वह राहगीर उसे एकदम पकड़ लेता है। डर के मारे सभी चिड़ियां भाग जाती हैं और कौवे को भी डरा धमकाकर भगा देता है। फिर राहगीर असली काक भगोड़ा से कहता है कि तुम्हारा काम आसान कर दिया। अब कभी फिर चिड़िया इस किसान के खेत को नहीं चुगेंगी।

अंत में नाटक जीने के लिए संघर्श दिखाने का संदेश देता है जब चिड़ियां पूछती हैं कि अब कहा जाएं यहां तो पकड़ने लगे हैं तो कौवा कहता है चलो मैंने और जगह -सजयूं-सजय ली है जहां हम दाना चुग सकते हैं और सभी पक्षी उस ओर उड़ कर चले जाते हैं। नाटक में हिमांशु, सागर, प्रवीण, पारस, क्रिष, राज, स्नेहा, सृश्टि, वैश्णवी, अंजीता, वैषाली, संध्या, मंजु, फूलमती, चांदनी, गौरव ठाकुर, अनिष भगत, शिवानी, रिहान, खेम राज, मोहम्मद अरहान अंसारी, राधिका,
शक्तम, ज़ीनत, सुनीता, रूपा, रोशनी, जितेन्द्र, यामिनी, राधिका, पवित्रा, शलिहा, अनोखा, तबसुम, मानवी, तानियां, अनिकेत, आकाश, मनीश, साक्षी व आभारानी आदि बच्चों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

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