सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
शिमला
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज इंदिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय शिमला के अटल सभागार में फैलोशिप ऑफ इण्डियन एसोसिएशन ऑफ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोसर्जन (एफआईएजीईएस) के तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर उन्होंने एकीकृत चिकित्सा शिक्षा पद्धति पर बल देते हुए कहा कि इसमें एलोपैथी के साथ-साथ होम्योपैथी और आयुर्वेद को भी शामिल किया जाए।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में एलोपैथी के अलावा अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता है।
राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली हजारों वर्ष पुरानी है, जो आधुनिक समय की उपचार तकनीकों को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।
एकीकृत चिकित्सा पद्धति लोगों को बेहतर उपचार उपलब्ध करवाने में सक्षम है। उन्होंने सभी विशेषज्ञों से इस दिशा में विचार करने और खुली चर्चा का आह्वान किया।
राज्यपाल ने कहा कि यहां उपस्थित प्रतिभागी अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं और मुझे उम्मीद है कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन में होने वाले विचार-विमर्श से नवोदित शल्य चिकित्सकों (सर्जन) को बहुत लाभ होगा जिससे वे आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान आयोजित फेलोशिप कोर्स कई प्रतिनिधियों को लैप्रोस्कोपिक कौशल में प्रशिक्षित करेगा।
उन्होंने कहा कि इन शैक्षणिक गतिविधियों और प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से सर्जन, विशेष रूप से युवा सर्जन नई तकनीक से अपने कौशल में निखार और अपने ज्ञान को बढ़ाकर लाभान्वित होंगे।
इससे पहले राज्यपाल का सम्मेलन में पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया और उन्होंने एफआईएजीईएस की स्मारिका का विमोचन भी किया।
इंडियन एसोसिएशन ऑफ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोसर्जन (आईएजीईएस) के अध्यक्ष डॉ. एलपी थंगावेलु ने एसोसिएशन की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि आईएजीईएस भारत का एक प्रमुख संगठन है और विश्वभर में इसके दस हजार से अधिक सदस्य हैं।
उन्होंने कहा कि संघ द्वारा युवा सर्जनों के लिए विभिन्न ऑनलाइन कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं और नकद पुरस्कार प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में देश भर से सैकड़ों प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
इस अवसर पर निदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं अटल अतिविशिष्ट चिकित्सा संस्थान, चमियाना, शिमला के प्रधानाचार्य प्रो. रजनीश पठानिया, प्रिंसिपल आईजीएमसी डॉ. सीता ठाकुर एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति और आईजीएमसी के कर्मचारी भी उपस्थित रहे।