सुरभि न्यूज़
विजयराज उपाध्याय, बिलासपुर
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद एवं केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के इस कथन पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि कांग्रेस की प्रदेश सरकार को कथित भूमि अधिग्रहण के मामले में केंद्र की 1800 करोड़ रुपए की राशि का शीघ्र भुगतान करना चाहिए और इसे अपना दाईत्व समझना चाहिए।
शोसल मिडिया को जानकारी देते हुए रामलाल ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के एक सांसद के नाते अनुराग सिंह ठाकुर को हिमाचल प्रदेश सरकार और इसके लोगों की केंद्र में वकालत करनी चाहिए, किन्तु केंद्र में मंत्री बन कर अनुराग ठाकुर हिमाचल सरकार को परेशानियाँ पैदा करने का कारण बन रहे हैं।
उन्होने कहा कि केंद्र सरकार की हिमाचल की देय 1800 करोड़ रुपए की राशि तो अनुराग सिंह ठाकुर को याद रह गई किन्तु इससे भी अधिक कई गुना अधिक अरबों रुपयों की वह राशियाँ न जाने उन्हें क्यों याद नहीं आई जो हिमाचल सरकार को केंद्र सरकार द्वारा देय हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुकखू के केन्द्रीय सरकार के बड़े- बड़े नेताओं से बार–बार मिलने के बावजूद भी वह राशि नहीं दी गई जो नियमों व कानून के अधीन हिमाचल प्रदेश का अधिकार है।
रामलाल ठाकुर ने कहा कि आश्चर्य है कि हिमाचल प्रदेश के लोगों की वोटों से चुन कर गए सांसद इस आपदा की घड़ी में हिमाचल के लोगों की वकालत करने के बजाए केंद्र सरकार की वकालत करने में लगे हुए हैं। जबकि उन्हें भली-भांति पता है कि उनकी पार्टी की पूर्व जयराम ठाकुर सरकार ने हिमाचल को 75 हजार करोड़ रुपए के भारी कर्ज बोझ तले धकेल दिया है। जिस कारण हिमाचल एक के बाद एक आर्थिक कठिनाई झेल रहा है।
रामलाल ठाकुर ने कहा कि अनुराग सिंह ठाकुर का यह दावा भी उचित व न्यायसंगत नहीं है कि उनके सांसद बनने से पहले बिलासपुर में कुछ नहीं था और जो कुछ यहाँ बना वह केवल उनकी ही देन है।
रामलाल ठाकुर ने कहा कि इस मामले में अनुराग सिंह ठाकुर और जे पी नड्डा को आपस में बैठ कर फैसला कर लेना चाहिए कि इन मे से कुछ उपलब्धियों का श्रेय किस को जाता है।
रामलाल ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बिलासपुर में रेल लाईन बिछाई जा रही है और कीरतपुर–मनाली फोरलेन बनाया जा रहा है तो क्या यह कार्य बिलासपुर के लोगों के लिए किया जा रहा है या अपने कथित चहेतों के लिए किया जा रहा है।
इन प्रोजेक्टों के कारण विस्थापित हुए बिलासपुर के लोगों को तो भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा अपने सार्वजनिक वादे के बावजूद उनकी अधिगृहीत की गई भूमि का 4 गुना मुआवजा तक नहीं दिया गया और यहाँ के लोगों को सिर्फ बर्बादी ही हाथ लगी।