सुरभि न्यूज़
प्रताप अरनोट, शिमला
प्रदेश में युवाओं में बढ़ते नशे की लत को देखते हुए सरकार एक सख्त विधेयक सदन में जल्दी ही रखने जा रही है। नशे व अन्य अपराधिक मामलों से निपटने के लिए प्रदेश सरकार कड़ा रुख अपनाने जा रही है।
बुधवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध विधेयक विधानसभा के सदनपटल पर रखा, इसे शुक्रवार को पारित किया जा सकता है। इस विधेयक के तहत तस्करों के लिए मृत्युदंड या फिर आजीवन कारावास का प्रावधान है।
चिट्टा तस्करी, नकली शराब बेचने और इस तरह के अन्य संगठित अपराध से यदि किसी की मौत होती है तो दोषियों को आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक मिल सकता है। सजा के साथ दोषी को 10 लाख रुपये तक जुर्माना भी देना होगा। नशे से अर्जित की गई संपत्ति भी जब्त होगी। हिमाचल सरकार की ओर से विधानसभा में पेश किए विधेयक में ये प्रावधान किया गया है।
विधेयक के अनुसार, जो कोई संगठित अपराध के लिए उकसाता है, प्रयास करता है, षड्यंत्र रचता है, जानबूझकर उसे अंजाम देने में मदद करता है या संगठित अपराध की तैयारी के लिए किसी अन्य कार्य में संलग्न होता है, उसे कम से कम एक वर्ष के कारावास से दंडित किया जाएगा। सजा आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है। इसमें पांच लाख तक के जुर्माने का भी प्रावधान रहेगा। यदि कोई व्यक्ति संगठित अपराध गिरोह का सदस्य है, उसे कम से कम एक साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। जो कोई जानबूझकर किसी ऐसे व्यक्ति को शरण देगा या छिपाएगा, जिसने संगठित अपराध किया है, उसे कम से कम छह महीने के कारावास का प्रावधान किया गया है। सजा को आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकेगा। बीस हजार रुपये से लेकर पांच लाख तक जुर्माना लगेगा।
मगर यह उपधारा ऐसे किसी मामले में लागू नहीं होगी, जिसमें अपराधी के पति या पत्नी की ओर से शरण दी गई हो या छिपाया गया हो। जो संगठित अपराध के कमीशन से प्राप्त किसी संपत्ति पर कब्जा करता है, उसे एक वर्ष से कम अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा। इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। उसे दो लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकेगा।
यदि किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य की ओर से कोई व्यक्ति चल या अचल संपत्ति पर कब्जा करता है, जिसका वह संतोषजनक हिसाब नहीं दे सकता है, तो उसे एक वर्ष से कम अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा। इसे 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
कोई भी व्यक्ति इस अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध करने के लिए दोषी पाया गया है, उसे दूसरी और प्रत्येक बाद की सजा के लिए कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि सजा की अधिकतम अवधि के डेढ़ गुना तक हो सकती है। वह जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा जो जुर्माने की अधिकतम राशि के डेढ़ गुना तक हो सकता है।
जिस व्यक्ति के पास ड्रग्स मिलेगी या खरीदेगा और इसका परिवहन करेगा उसे कम से कम दो वर्ष और अधिकतम चौदह वर्ष तक के कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा। उससे कम से बीस हजार और अधिकतम 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी देगा।
नशे के अलावा अवैध खनन, वन कटान, वन्य जीवों की तस्करी, खतरनाक पदार्थों की डंपिंग, मानव अंगों की तस्करी, स्वास्थ्य विभाग में फर्जी बिल बनाने, झूठे क्लेम करने, साइबर आतंकवाद, फिरौती, फर्जी दस्तावेज रैकेट, खाने की वस्तुओं में मिलावट और मैच फिक्सिंग के मामले संगठित अपराध कहलाएंगे।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने हिमाचल प्रदेश मादक पदार्थ एवं नियंत्रित पदार्थ निवारण, नशामुक्ति और पुनर्वास विधेयक 2025 को सदन में पेश किया। विधेयक के सदन में पारित होने से नशे के दलदल में फंसे लोगों का पुनर्वास हो सकेगा। इससे पुनर्वास केंद्र खोलने की शक्तियां सरकार के पास होंगी। अनुदान केंद्र, राज्य सरकार और सीएसआर से धन का प्रावधान किया जाएगा।
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि पुनर्वास केंद्रों की स्थापना के लिए एक कोष गठित होगा। अल्प मात्रा में नशीले पदार्थों के साथ पकड़े जाने पर 2 से 5 वर्ष की सजा और 20 से 50 हजार रुपये जुर्माना लगेगा। अधिक मात्रा में नशीले पदार्थों के साथ पकड़े जाने पर 5 से 7 वर्ष की सजा और 50 हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना होगा।
इसके इलावा वाणिज्यिक मात्रा में नशीले पदार्थों के साथ पकड़े जाने पर 10 से 15 वर्ष की कैद और 1 से 2 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। किसी भी सरकारी कर्मचारी (लोक सेवक) के नशीले पदार्थों के साथ पकड़े जाने पर उसे तय से डेढ़ गुणा सजा व इतना ही अधिक जुर्माना होगा।