बुरांस के फूलों से लवालब होकर एक नई नवेली दुल्हन की तरह सजती है चौहार घाटी 

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सुरभि न्यूज़ (खुशी राम ठाकुर) बरोट। कुदरत ने इस धरती पर इंसानों के लिए कई चीजें बख्शी हुई है जिनका इंसान अपनी जरूरतों के हिसाब से उपयोग भी करता आ रहा है। जिला मंडी की चौहार घाटी तथा जिला कांगड़ा की छोटाभंगाल घाटी की बात की जाए तो यहाँ की सुंदर वादियों में कुदरत ने यहाँ के लोगों के लिए बहुत कुछ बख्श रखा है। प्रति वर्ष मार्च तथा अप्रेल माह में इन घाटियों की वादियां बुरांस के फूलों से लवालब होकर एक नई नवेली दुल्हन की तरह सजी हुई दिखाई देती है। जिन बुरांस के फूलों की लोग चटनी बनाकर चावल के साथ चटकारे लेते हैं | और अब दोनों घाटियों में खेतों व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्राकृतिक तौर से ऊगने वाली लिंगड़ू व फफरू की सब्जिया लहलहाती अक्सर दिखाई देती है। लोग लिंगड़ू की सब्जी बनाकर खाने का का काफी लुत्फ़ उठाते हैं वहीं कई लोग इसका आचार बनाकर भी प्रयोग में लाते हैं जो कि बहुत ही स्वादिष्ट होता है। लिंगडू में दही मिलाकर दम नामक सब्जी भी बनाते हैं। इस वर्ष सर्दी के मौसम में बर्फ व वारिश कम होने के कारण बेशक लिंगडू देर से ऊगी है लेकिन घाटियों में यह प्रतिवर्ष ही भारी मात्रा में उगती रहती है। वहीँ कई मेहनतकश लोग इस प्राकृतिक सब्जी लिंगडू को इकठ्ठा कर नीचले क्षेत्रों मे ले जाकर बेचते हैं जिससे वे बहुत अच्छी कमाई भी करते हैं। लेकिन कोरोना काल के इन दो वर्षों में लोग लिंगडू को अपने खाने के लिए तो इकठ्ठा कर रहे हैं मगर नीचले क्षेत्रों में बिक्री के लिए न ले जाने के कारण उनकी कमाई मे काफी कमी आ गई है। इसके साथ एक अन्य प्राकृतिक सब्जी फफरू भी प्राकृतिक स्वादिष्ट सब्जी में से एक है।  इसे भी लोग चावल व चपाती के साथ बड़े मज़े के साथ खाते हैं। कोरोना महामारी के चलते यहाँ के लोग बाज़ार की सब्जियों को खाने के वजाय इन प्राकृतिक सब्जी का इस्तेमाल कर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। ये प्राकृतिक सब्जियां औषधीय गुणों से भरपूर है सच में इन घाटियों में कुदरत ने बहुत कुछ उड़ेल रखा है।

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