3 किलोमीटर पहाड़ी रास्तों से कुर्सी पर उठाकर सडक़ मार्ग तक पहुंचाई नाहीं गांव की सुजाता मैहता

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी के कई दूर दराज क्षेत्र आज तक भी आजादी के सात दशकों बाद तक सडक़ और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से बंचित है। यहां के लोगों को बीमारी की हालात में अपना इलाज करवाने के लिए कई किलोमीटर का सफर पहाड़ी रास्तों हो कर पैदल तय करना पड़ता है। तीर्थन घाटी की नवगठित ग्राम पंचायत पेखड़ी के सैंकड़ों लोग आज भी कई मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। ग्राम पंचायत पेखड़ी कहने को तो विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का प्रवेश द्वार है जहां पर जैविक विविधता का अनमोल खजाना छिपा पड़ा है। यहां के लोग अभी तक सडक़, रास्तों, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी कई मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है। नोहाण्डा पंचयात से अलग हुई पेखड़ी पंचायत के गांव दारन, शूंगचा, घाट, लाकचा, नाहीं, बाईटी, शालींगा, टलींगा, नडाहर, लुढार और गदेहड़ आदि गांव के सैंकड़ों लोग अभी तक सरकार व प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे है कि कब उनकी देहलीज तक भी सडक़ पहुंच जाए। यहां के लोग अभी तक अपनी पीठ पर बोझ ढोने को मजबुर है। ऐसा ही एक वाक्या आज दिन के समय तीर्थन घाटी की दूर दराज नवगीत ग्राम पंचायत पेखड़ी के नाहीं गांव में सामने आया है। नाहीं गांव की सुजाता मैहता उम्र 29 वर्ष पत्नी रूपेन्द्र कुमार को आज सुबह अचानक पेट में दर्द उठा जिस कारण वह बेहोश हो गई। इसके घर वालों ने काफी घरेलू उपचार करने की कोशिश करी लेकिन सुजाता का दर्द कम नहीं हुआ। गांव में कोई स्वास्थ्य सुविधा ना होने के कारण दिन के समय ग्रामीणों ने बिमार सुजाता मैहता को तीन किलोमीटर पैदल पहाड़ी रास्ते से पालकी में उठाकर पेखड़ी सडक़ मार्ग तक पहुंचाया जहाँ से उसे निजी वाहन द्वारा इलाज के लिए बंजार ले जाया गया। नाहीं गांव के लोगों का कहना है कि पहले भी इस तरह की अनेकों घटनाएं घट चुकी है हर वर्ष दर्जनों मरीजों को इलाज के लिए सडक़ मार्ग तक पैदल पहुंचाना पड़ता है। इस तरह की स्वास्थ्य संबंधी इमरजेंसी होने पर सैंकड़ो ग्रामीणों को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस क्षेत्र से पढ़ाई करने वाले छात्र.छात्राओं को हाई स्कूल व इससे आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रतिदिन करीब दो से पांच घंटे तक का सफर पैदल तय करना होता है। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर यहां कोई भी दवाखाना या सरकारी डिस्पेंसरी नहीं है लोगों को सर्दी जुकाम की दवा लेने के लिए भी करीब 5 किलोमीटर का पैदल सफर करके पहाड़ी रास्तों से होकर गुशैनी पहुँचना पड़ता है। यहां पर सभी पहाड़ी रास्ते कच्चे बने हुए हैं और खतरनाक स्थानों पर कोई सुरक्षा इंतजाम भी नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि विश्व धरोहर की अधिसूचना जारी होने के पश्चात पार्क क्षेत्र से उनके हक छीन लिए गए लेकिन पार्क प्रबन्धन ने प्रभावित क्षेत्र के लोगों के उत्थान एवं विकास के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए हैं। यहां के लोगों की मांग है कि इस सडक़ के निर्माण कार्य को गति दी जाए और उनके गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र खोला जाए ताकि लोगों को शीघ्र ही इन कठिनाइयों से निजात मिल सके। लोक निर्माण विभाग उप मण्डल बंजार के सहायक अभियन्ता रोशन लाल ठाकुर का कहना है कि नगलाड़ी नाला से नाहीं घाट लाकचा प्रस्तावित सडक़ को सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है और टैंडर प्रक्रिया पुरी होते ही एक माह बाद कार्य को सुचारू रूप से शुरू किया जाएगा। इनका कहना है कि अभी तक करीब एक किलोमीटर सडक़ निर्माण कार्य राज्य सरकार के मद से किया गया है।