15 सालों से नहीं बन पाई शमशर से पनैई शा सड़क ग्रामीणों में विभाग व सरकार के प्रति रोष

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सुरभि न्यूज़ आनी। विकास खण्ड आनी के अंतर्गत ग्राम पंचायत कुंगश व कराणा के दर्जनों गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए प्रस्तावित शमशर से पनैई शा सड़क के निर्माण की प्रक्रिया अधर में लटकने से ग्रामीणों में सरकार व विभाग के प्रति खासा रोष व्याप्त है।पिछले 15 सालों से सड़क सुविधा की बाट जोह रहे कराणा व कुंगश पंचायतों के छूटे हुए गांवों के लोगों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। क्षेत्र की पंचायत कराणा वन की प्रधान रचना ठाकुर, समाज सेवी सुरेश तथा पूर्व वीडीसी संजय कुमार की अध्यक्षता में दो पंचायतों के जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को एसडीएम आनी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने ज्ञापन के माध्यम से अवगत करवाया है कि आनी खण्ड की ग्राम पंचायत कराणा वन व कुंगश के छूटे हुए गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए लोक निर्माण विभाग  द्वारा वर्ष 2007 को शमशर से पनैई शाह सड़क का सर्वे किया गया था, जिसकी कुल लम्बाई लगभग साढ़े  नौ किमी बनी।क्षेत्र के पूर्व वीडीसी संजय कुमार ने बताया कि सर्वे के बाद  वर्ष 2013 में  तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा इसकी सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की गई।जबकि वर्ष 2017-18 में इस सड़क को विधायक प्राथमिकता में भी डाला गया, मगर तब से लेकर आज तक इस सड़क के निर्माण को लेकर कोई भी प्रगति नहीं हुई है। समाज सेवी सुरेश कुमार ने बताया कि शमशर से पनैई शा सड़क का मुद्दा सिरे न चढ़ने से लोग स्वयं को ठगा ठगा सा महसूस कर रहे हैं। सड़क सुविधा के अभाब में दर्जनों गांव के लोग आज भी गुलामी सा जीवन जीने को विवश है। सुरेश कुमार का कहना है कि आपातकालीन परिस्थितियों में यहां के ग्रामीणों को मरीज पीठ अथवा पालकी व कुर्सी में उठाकर अस्पताल पहुंचाने पड़ते हैं, जबकि अपनी फसलों को मंडियों में पहुंचाने और घर के लिए राशन सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं को लाने के लिए उन्हें मजदूर व घोडे खच्चर का सहारा लेना पड़ता है। स्थानीय कराणा वन की प्रधान रचना ठाकुर व उपप्रधान राजकुमार ने बताया कि प्रस्तावित शमशर पनैई शा सड़क की फाइल विभाग के त्रुटिपूर्ण कार्य व लेटलतीफी के कारण पिछले चार वर्षों से एक दूसरे विभाग में इधर से उधर घूम रही है। जिस कारण सड़क निर्माण की डीपीआर सिरे नहीं चढ़ पा रही है, जबकि स्थानीय जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों ने इस मुद्दे की स्थानीय विधायक किशोरीलाल सागर के संज्ञान में लाकर उनसे सड़क निर्माण को जल्द सिरे चढ़ाने की गुहार लगाई, मगर उनके हस्तक्षेप के बाबजूद भी समस्या अभी तक जस की तस है जिससे ग्रामीणों में विभाग व सरकार के प्रति खासा रोष व्याप्त है। प्रधान रचना ठाकुर का कहना है कि हॉल ही में इस सड़क की फाईल वन विभाग शिमला से सात आपत्तियों के सात वापिस रामपुर कार्यालय लौट आई है। ऐसे में ग्रामीणों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को रोष स्वरूप  भेजे ज्ञापन में स्पष्ट किया है कि जब तक दो पंचायतों के छूटे हुए गांवों के लिए प्रस्तावित सड़क की प्रस्तावना पूरी औपचारिकताओं के साथ पूरी नहीं हो जाती. क्षेत्र की जनता तब तक इस बार के लोकसभा उपचुनाव  का बहिष्कार कर  अपने मताधिकार का  प्रयोग नहीं करेंगे।

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