वृद्धि व ध्रुव योग में जन्माष्टमी 18 अगस्त गुरुवार को मनाएं, तिथि में कोई संशय नहीं

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सुरभि न्यूज़

मदन गुप्ता सपाटू, चंडीगढ़

भारत में ऐसे दो युग पुरुष हुए हैं जिनके जन्मोत्सव सदियों से धार्मिक आयोजन के रुप में मनाए जाते हैं। इतिहासकारों के अनुसार भगवान राम का जन्म लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व का तथा भगवान कृष्ण का 5250  साल पहले का माना गया है।

इसी लिए दोनों उत्सव राम नवमी और कृष्ण जन्माष्टमी कहलाते हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से भगवान राम का  जन्म नवमी के दिन अभिजीत मुहूर्त अर्थात दोपहर 12 बजे हुआ तथा भगवान कृष्ण का अष्टमी की मध्यरात्रि अभिजीत मुहूर्त में ही हुआ था। यह एक ऐसा मुहूर्त होता है जिसमें हर कार्य में विजय प्राप्त होती है।

श्रीमद्भागवत भविष्यपुराणों के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि बुधवार रोहिणी नक्षत्र एवं बृष  राशि के चंद्रमा- कालीन अद्धरात्रि के समय हुआ था। कई बार बृष का चंद्र तो होता है परंतु रोहिणी नक्षत्र नहीं होता इस लिए असमंजस की स्थिति बन जाती है।

आमजन अर्थात स्मार्त या  गृहस्थियों के लिए 18 अगस्त को रात्रि 9 बजकर 22 मिनट के बाद अर्द्धरात्रि कृतिका नक्षत्र तथा मेष राशिस्थ चंद्रोदय कालीन भगवान श्री कृष्ण का व्रत जन्मोत्सव मनाना तर्कसम्मत होगा।

दूसरी ओर वैष्णव अर्थात सन्यासियों को 19 तारीख शुक्रवार को यह पर्व मनाना चाहिए। शुक्रवार को अष्टमी रात्रि केवल 11 बजे तक ही रहेगी। वृंदावन में जन्माष्टमी दोनों दिन मनाई जाती है और आप भीअपनी सुविधा तथा आस्थानुसार दोनों दिन मना सकते हैं।
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ. 18 अगस्त शाम 9 बजकर 21 मिनट से शुरू
अष्टमी तिथि समाप्त. 19 अगस्त रात 10 बजकर 59 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त . 18 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक
वृद्धि योग . 17 अगस्त दोपहर 8 बजकर 56 मिनट से 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट तक

व्रत कब और कैसे रखा जाए

सुबह स्नान के बाद व्रतानुष्ठान करके ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जाप करें । पूरे दिन व्रत रखें। फलाहार कर सकते हैं। रात्रि के समय ठीक बारह बजे लगभग अभिजित मुहूर्त में भगवान की आरती करें। प्रतीक स्वरुप खीरा फोड़ कर शंख ध्वनि से जन्मोत्सव मनाएं। चंद्रमा को अघ्र्य देकर नमस्कार करें। तत्पश्चात मक्खन, मिश्री, धनिया, केले, मिष्ठान आदि का प्रसाद ग्रहण करें और बांटें। अगले दिन नवमी पर नन्दोत्सव मनाएं।

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