तीर्थन घाटी ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की वादियाँ पर्यटकों से गुलजार। ट्राउट फिशिंग पर्यटन सीजन का आगाज, बुरांश के फुलों से तीर्थन घाटी लकदक तथा सैलानी तथा सैलानी ट्रैकिंग, कैम्पिंग, साइकलिंग और फिशिंग का ले रहे है आनन्द

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सुरभि, न्यूज़ बंजार।
हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लु की तीर्थन घाटी में आजकल पर्यटकों की आवाजाही में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यहाँ के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क इको जॉन की वादियाँ पर्यटकों से गुलजार हुई है। हालांकि यहां की ऊँचाई वाली चोटियों ने एक बार फिर से हल्की बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली है जिस कारण तापमान में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। नेशनल पार्क के कोर जॉन क्षेत्र की ऊँचाई वाली सभी चोटियां इस समय से बर्फ से लक दक है। हर मौसम में बदलता नजारा तीर्थन घाटी के प्रकृतिक सौंदर्य को निखारता रहता है। यहाँ का जलोड़ी दर्रा आजकल पर्यटकों के लिए स्नो पॉइंट और आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इसके साथ ही मत्स्य आखेट प्रेमियों के लिए इस साल के फिशिंग सीजन का भी आगाज हो चुका है। तीर्थन के जंगलों में खिल रहे बुरांश के फूलों से समुची तीर्थन घाटी महक उठी है जो पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। अब हर वीकेंड पर पर्यटकों की आवाजाही में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। उपमण्डल बंजार की तीर्थन घाटी में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को यूनेस्को द्वारा वर्ष 2014 में विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है। यह नेशनल पार्क भारत के बहुत ही खूबसूरत नेशनल पार्कों में से एक है जिसका क्षेत्रफल करीब 765 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।यहां पर अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधिता का अनुपम खजाना है।

इस नेशनल पार्क का महत्व यहां पाई जाने वाली दुर्लभतम जैविक विविधता से ही है। यहां पर विभिन्न प्रजातियों के वन्य जीव जैसे चिता, भालू, घोरल, ककड़ और कई किस्म के पक्षी जैसे जेजू राणा और मोनाल सरीखे कई परिन्दे व जीवजन्तु, वन्य वनस्पति एवं औषधीय जड़ी बूटियों की अनेकों प्रजातियां आज भी पाई जाती है जो समूचे विश्व में दुर्लभ या विलुप्त होने के कगार पर है। यहाँ की हसीन वादियाँ हर वर्ष असंख्य देशी विदेशी पर्यटकों, अनुसंधान कर्ताओं, रोमांच प्रेमियों और ट्रैकरों को लुभा रही है। यहाँ पर आकर पर्यटक कैम्पिंग, ट्रैकिंग, फिशिंग, रिवर क्रोसिंग, पर्वतारोहण जैसी साहसिक गतिविधियों का आनन्द ले रहे है।

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और यहां पर पाई जाने वाली ट्राउट मछली की वजह से ही तीर्थन घाटी को प्रसिद्धि मिल रही है। यह घाटी पर्यटन के क्षेत्र में एक उभरता हुआ पर्यटन स्थल है जिसे कुदरत ने दिल खोलकर सौन्दर्य प्रदान किया है। यहाँ की शान्त और सुरम्य वादियाँ, प्रदुषण मुक्त वातावरण, नदी, नाले, झील और झरने यहाँ के परिदृश्य को सुशोभित करते है। तीर्थन घाटी के ट्रेक्किंग रूटों में कुछ ही कदमों पर बदलते परिदृश्य यहां भर्मण करने वाले पर्यटकों को रोमांचित करते है। समुची तीर्थन घाटी में अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधता का अनमोल खजाना भरा पड़ा है। तीर्थन घाटी में इस साल का मछली आखेट पर्यटन सीजन भी मार्च प्रथम सप्ताह से शुरू हो चुका है। गौरतलब है कि नवम्बर से फरवरी माह तक तीर्थन नदी में मछलियों का ब्रीडिंग सीजन चलता है इसलिए करीब तीन माह तक मछली के आखेट पर पूर्ण रूप से पावंदी रहती है। अब एक मार्च से यह प्रतिबन्ध हट गया है और मछली आखेट प्रेमी तीर्थन की लहरों पर उतर गए हैं। हालांकि घाटी में पर्यटकों की आमद में धीरे धीरे इजाफा हो रहा है। ट्राउट मछली और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की जैव विविधता के लिए विख्यात तीर्थन घाटी में साल दर साल पर्यटकों की आमद मे बढ़ोतरी देखने को मिल रही है जिसका एक प्रमुख कारण तीर्थन नदी की स्वच्छ जलधारा में पाई जाने वाली ट्राउट मछली भी है।

 

आजकल तीर्थन घाटी के जंगल बुरांश फूल की लालिमा से दमक उठे हैं जिस कारण यहां के जंगलों का सौन्दर्य निखर गया है। बुरांश का फूल न केवल सुन्दरता की दृष्टि से अच्छा होता है बल्कि इसमें कई प्रकार के औषधीय भी पाए जाते हैं। घाटी में खिल रहे बुरांश जंगल में रंगत विखेर रहे है जो पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए है। यहां पर बाहरी राज्यों से आए पर्यटक बुरांश के फूल की लालिमा को देखकर वेहद रोमांचित हो रहे है। हालाँकि अभी तीर्थन घाटी के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में बुरांश खिलना ही शुरू हुए है जो अगले दो माह तक जंगलो में खिले रहेंगे। यहां के कुछ स्थानीय युवाओं और महिलाओं ने बुराँश के फूलों को एकत्रित करना शुरू कर दिया है जिससे गर्मियों के लिए जूस तैयार किया जाएगा।आजकक तीर्थन घाटी में गुजरात राज्य के अहमदाबाद से स्कुली छात्रों का एक दल भृमण कर रहा है। इस दल में 18 लड़के और 11 लड़कियों के अलावा 6 ग्रुप लीडर भी आए हैं जो तीर्थन घाटी के हिमालयन कैम्प साइट में ठहरे हुए हैं। गुजरात राज्य की ट्रैवल कम्पनी एनाला आउटडोर्स के टीम इन्चार्ज दर्पण पांडेय ने बतलाया कि यह करीब 35 वर्षों से अहमदावाद के स्कुली बच्चों को देश की अलग अलग खुबसूरत जगहों पर ले जाकर प्रकृति को नजदीक से रूबरू कराते हैं। इन्होंने बताया कि ऐसे टूर के दौरान बच्चों को पेड़ पौधों, पक्षियों और वन्यजीव जन्तुओं के बारे में भी जानकारी देकर शिक्षित किया जाता है और इसके अलावा इनसे साहसिक गतिविधियां भी करवाई जाती है। इस टूर के दौरान तीर्थन घाटी में बच्चों को ट्रैकिंग, कैम्पिंग, साइकलिंग, फिशिंग और रिवर क्रासिंग जैसी साहसिक गतिविधियां करवाई गई है। इन्होंने बतलाया कि तीर्थन घाटी में बच्चों को ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का ट्रैक और जलोड़ीपास का स्नो पॉइन्ट बहुत ही पसन्द आया है। इसके अलावा तीर्थन घाटी में देश के अन्य राज्यों दिल्ली, चंडीगढ़, हरियाणा, गुजरात, छत्तीसगढ़, केरला, कश्मीर और पश्चमी बंगाल आदि राज्यों के पर्यटक भी यात्रा पर आए है जो यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य का भरपूर लुत्फ उठा रहे हैं।