सुरभि न्यूज़ चंडीगढ़
राज कुमार
आज एक खबर छपी है कि वर्तमान में जीमेल के जमाने में भी कोई खत लिखता है तो वह अखबार को बताए कि क्यों, कब, कितना और कैसे लिखता है इत्यादि। अखबार का नज़रिया साफ है। लेकिन हमने क्यों खत लिखना बंद कर दिए, यह एक यक्ष प्रश्न है। खतों से जज्बातों को उड़ेलने का फन हम भूल चुके हैं शायद। मात्र दो शब्दों या चंद लाइनों में अपने भाव व्यक्त करना अब हमें आता नहीं है या हमारे पास समय नहीं है। दूसरी बात यह भी है कि मल्टी और सोशल मीडिया ने अपनी पकड़ हम पर और मजबूत बना ली है। वैसे भी जो खत एक महीने बाद मिलता था वह एक ही क्लिक में कोसों दूर पहुंच जाता है। बावजूद इसके अभी भी कुछ टूट रहा है। वो पहले जैसा मज़ा नहीं आ पा रहा है खतों में।
इतना सब कुछ होने के बावजूद डाकघरों और खतों का वजूद आज भी कायम है। जो बात खतों के माध्यम से कही जाती है वह मिठास और संवेदनशीलता मोबाइल से व्यक्त नहीं की जा सकती है। एक वक्त था हर घर में डाकिये का इंतज़ार होता था। अपने सुख दुख एक दूसरे से बांटे जाते थे। कई बार लंबे लंबे खत लिखे जाते थे। खतों में अपने जज्बात लिखने वाले पढ़ने वाले के दिल को ही जीत लेते थे। आज तक कई लोगों ने पुराने खत संभाल कर रखे हैं। उन खतों में पुरानी यादों का पिटारा है। कितने ही रिश्ते, संबंध और खुशहाली इन्हीं खतों के जरिये लोगों को मिली। खत लिखते-लिखते कई लोग अभिव्यक्ति और सम्प्रेषण के दम पर राइटर बन गए। अपनी बात को कहने का जरिया थे ये खत। अब कोई अखबार यह जानना चाहता है तो हम सभी को बताना ही पड़ेगा कि इन खतों के बिना हम कितने अधूरे हैं।
आज भी प्यार का पहला खत लिखने में डर तो लगता है… ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर तुम नाराज मत होना….फूल भेजा है तुमको खत में, खत नहीं ये मेरा दिल है…कितने ही अनगिनत गाने इन खतों को लेकर लिखे गए। उन खतों से अपने जज्बात व्यक्त करने वाले तो कई आजकल बुजुर्ग भी हो चुके हैं। लेकिन नई पीढ़ी इन खतों के संसार को कब समझ पाएगी। कब ये खाली मुंह ताकते लेटरबॉक्स भरे मिलेंगे। कब हर तरफ प्यार का संदेश लोगों को इन खतों से मिलेगा। ये सब हमारे प्रयासों से ही संभव है। क्या तुम भी किसी अपने अजीज को खत लिखने का प्रयास करोगे। क्या किसी नाराज दोस्त को मनाने के लिए खत लिखोगे। क्या अपने किसी चाहने वाले से अपने दिल की बात साझी कर पाओगे। हो सकता है ऐसा करने से आपको कोई जवाब न भी मिले। लेकिन अगर मिल गया तो आपको जो खुशी मिलेगी वह शब्दों में बयां करना मुश्किल हो जाएगी।