बंजार पंचायत समिति में भाजपा का पलट सकता है तख्ता, लीला देवी को मिल सकती है अध्यक्ष पद की कमान 

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 सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
कुल्लू

प्रदेश में कांग्रेसी सरकार बनने के बाद लगातार नगर निकाय व पंचायती राज संस्थाओं में भी तख्तापलट होने लगे हैं। जिसके तहत सबसे पहले कुल्लू जिला के नगर खंड में पंचायत समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद से भाजपा को बेदखल करते हुए कांग्रेस ने कब्जा जमाया है।

इस समय कुल्लू जिला मुख्यालय पर भी नगर पंचायत के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को बदलने की कवायद चली हुई है। हालांकि कुल्लू नगर परिषद में दोनों ही पदों पर कांग्रेस के ही अध्यक्ष वह उपाध्यक्ष बने हुए हैं। लेकिन कांग्रेस के कुछ नेता उन्हें बदलने की कवायद में लगे हुए हैं।

इसी तरह से बंजार में भी भाजपा विधायक सुरेंद्र शौरी के विधानसभा क्षेत्र में भी पंचायत समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को बदलने की कवायद शुरू हो गई है।

मिली जानकारी के अनुसार बंजार पंचायत समिति में 17 सदस्य हैं जिनमें से 8 सदस्यों ने पिछले दिनों अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया हुआ है। जिस पर संभवत 25 अप्रैल को चर्चा होनी है।

उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में बंजार पंचायत समिति में भाजपा की लता देवी अध्यक्ष पद पर काबिज है जबकि उपाध्यक्ष पद पर भाजपा के ही डूर सिंह आसीन है।

जानकारी के अनुसार बंजार पंचायत समिति का अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित है और बंजार पंचायत समिति में केवल दो ही महिलाएं अनुसूचित जाति की जीत कर आई हैं। जिसमें लता देवी व लीला देवी शामिल हैं और दोनों ही पहले भाजपा की सदस्य थी। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद लीला देवी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है।

ऐसे में माना जा रहा है कि बंजार पंचायत समिति में फेरबदल होने से अध्यक्ष पद पर लीला देवी की लॉटरी लग सकती है। अब देखना यह है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होने के बाद वर्तमान अध्यक्ष उपाध्यक्ष को हटाने में कांग्रेस समर्थित पंचायत समिति सदस्य सफल हो पाते हैं या नहीं।

हालांकि बंजार पंचायत समिति में कांग्रेस के छः व एक सदस्य आम आदमी पार्टी का है। लेकिन माना जा रहा है आम आदमी पार्टी के सदस्यता का भी कांग्रेस को ही समर्थन मिलेगा।

वहीं, लीला देवी द्वारा भाजपा छोड़ कर कांग्रेस का दामन थाम लेने से कांग्रेस सदस्यों की संख्या 8 हो जाती है। जिससे तय है कि बंजार पंचायत समिति में कांग्रेस सदस्य भाजपा को बेदखल कर अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पद पर कब्जा जमाने में सफल हो सकते हैं।

फिलहाल सबकी नजरें संभवतः 25 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा पर टिकी हुई है।

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