हिमाचन शोध संस्थान एवं रंगमण्डल मण्डी के कलाकारों ने बन्दरगाह तथा धुप का एक टुकड़ा का किया सफल मंचन

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो 

कुल्लू

रंजमंच के क्षेत्र में देश व प्रदेश में अपनी पहचान बना चुकी स्थानीय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू के संयुक्त तत्वावधान में कला केन्द्र कुल्लू में आयोजित किए जा रहे नाटकों के राज्य स्तरीय हिमाचल नाट्य महोत्सव की तीसरी संध्या हिमाचन शोध संस्थान एवं रंगमण्डल मण्डी के कलाकारों ने सीमा शर्मा के निर्देशन में कहानियों का रंगमंच नामक सफल नाट्य की प्रस्तुति दी।

इस नाट्य प्रस्तुति में दो कहानियों का कोलाज था जिसमे पहली कहानी अन्तोन चेखव की बन्दरगाह तथा दूसरी कहानी निर्मल वर्मा की धूप का एक टुकड़ा थी।

बंदरगाह कहानी में एक लेखक समुद्र के किनारे अपने लेखन के लिए नए आईडिया सोच रहा होता है कि उसके पास एक मवाली आता है और लोखक को तीन रूबल के बदले समुद्र में कूदने और अपनी अंतिम सांस वह कैसे लेता है यह करतब दिखाना चाहता है लेखक पुलिस से शिकायत करता है और पुलिस वाला कहता है कि 60 कोपेक में यह करतब देखे। जबकि लेखक देखना ही नहीं चाहता। लेकिन मवाली करतब दिखाता है और लेखक से कहता है कि मेरे डूबने से पहले मेरे एक दोस्त का नाम लेना वह मुझे वक्त पर बचा लेगा, परन्तु लेखक उसके दोस्त का नाम भूल जाता है और मवाली डूब कर मर जाता है।

दूसरी कहानी निर्मल वर्मा की धूप का एक टुकड़ा में एक औरत रोज़ पार्क में आती है और धूप सेकने आती है और धूप सेकने के साथ साथ वहां सामने चर्च में हो रही सभी शादी को महसूस कर आनन्दित होती है। वह बेन्च पर पर बैठे एक अपरिचित व्यक्ति से बिना रूके और बिना उसके किसी जबाव के लगातार उससे बात कर रही होती है। उससे अपनी ज़िन्दगी के खालीपन को सांझा करती है। वो सामने से
चलती घोड़ागाड़ी को देख कर खुश होती है। परन्तु वह व्यक्ति उसकी किसी भी बात का जबाव नहीं देता बस खामोश रहता है। वह औरत लगातार अपने विचारों में डूबी हुई होती है। उसे अपने पति के साथ गुज़ारे आठ साल, जो कभी उसे बहुत अच्छे लगते थे, उसे सहारा देते
थे, पर आज वह शहर छोड़ कर दूसरे शहर आ गई है। जहां उसे कोई नहीं पहचानता। अपने पति के बारे में सोचकर, विवाह देखकर वह अपने अकेलेपन को कुछ हद तक भुला रही होती है।

नाटक में मच पर राकेश कपूर , कश्मीर सिंह, राहुल भट्ट और सीमा शर्मा ने सशक्त अभिनय किया। मंच पार्श्व में प्रकाश, व्यवस्था दीप कुमार तथा पार्श्व  ध्वनि संचालन राहुल भट्ट ने किया।

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