जनजातीय जिला लाहुल स्पीति के त्रिलोकीनाथ में 22 से 24 अगस्त तक मनाया जाएगा पारंपरिक पोरी मेला

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सुरभि न्यूज़

प्रताप अरनोट, उदयपुर

जनजातीय जिला लाहुल स्पीति के उदयपुर उपमंडल के तहत तीर्थ स्थल त्रिलोकीनाथ में पारंपरिक पोरी मेला हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 22 से 24 अगस्त तक मनाया जाएगा। मेले में बड़ी संख्या में देश विदेश के सैलानियों को आते है और भरपूर आनंद लेते है, जबकि स्थानीय लोग इस मेले को एक पावन त्योहार के तौर पर मनाते हैं।

इस मेले की शुरुआत त्रिलोकनाथ मंदिर के पवित्र परिसर में एक मनमोहक प्रार्थना समारोह के साथ होती है। जहाँ भक्त स्थानीय देवता को अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और उनका आशीर्वाद मांगते हैं। इसके बाद, वे परिक्रमा गैलरी में जाते हैं जहाँ वे गैलरी की दक्षिणावर्त परिक्रमा पूरी करते हैं।

शाम के समय, पर्यटकों का स्वागत भक्ति लोकगीतों पर विशाल मंडलियों में नाचते तीर्थयात्रियों के मनमोहक दृश्यों से होता है। अगले दिन, भक्तगण देवता को प्रसन्न करने के लिए घी का एक विशेष दीपक जलाते हैं और सुबह-सुबह संगीत, गीत और नृत्य से सजी एक असाधारण शोभायात्रा निकालते हैं।

इस भव्य शोभायात्रा की सबसे आश्चर्यजनक विशेषता यह है कि इसका नेतृत्व एक बिना सवार वाला घोड़ा करता है। क्योंकि स्थानीय लोगों का मानना है कि घोड़े पर स्वयं भगवान सवार हैं। इसके बाद शोभायात्रा स्थानीय शासक या त्रिलोकनाथ के ठाकुर के घर जाती है। जहाँ घोड़े का गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है और उसे मिठाइयाँ खिलाई जाती हैं। यहाँ तीर्थयात्रियों और भक्तों के लिए एक भव्य भोज का आयोजन किया जाता है।

इस भव्य स्वागत और भोज के बाद, स्थानीय शासक घोड़े पर सवार होकर जुलूस का नेतृत्व करते हैं और मेले का उद्घाटन करते हैं। उत्सव शुरू होता है और पूरी घाटी रोशनी और ध्वनि से जगमगा उठती है। पोरी मेले के दौरान लाहुल में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के स्टॉल और दुकानें लगाई जाती हैं, जो इस मनोरम स्थल के रंग-बिरंगे दृश्यों के आकर्षण को और बढ़ा देती हैं।

पोरी मेला तीन दिवसीय महोत्सव है। यह हिमालय के ऊंचे इलाकों में रहने वाले हिंदुओं और बौद्धों दोनों द्वारा मनाया जाता है। जो इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक का बेहतरीन उदाहरण है।

इस मेले के दौरान घोड़े को विशेष महत्व दिया जाता है। उसे मीठे पानी से नहलाया जाता है और खूबसूरती से सजाकर पौष्टिक भोजन खिलाया जाता है। त्रिलोकनाथ मंदिर में भगवान की प्रतिमा को दूध और दही से स्नान कराया जाता है।

संगीत, नृत्य और खेलों के साथ यह मेला पर्यटकों को इस हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की आकर्षक संस्कृति की झलक दिखाता है। इसे स्थानीय प्रशासन द्वारा बहुत ही बेहतर तरीके से आयोजित किया जाता है।

उदयपुर की एसडीएम एवं त्रिलोकीनाथ मंदिर ट्रस्ट की अध्यक्ष अलीशा चौहान ने बताया कि मेले के आयोजन संबंधी तैयारियां लगभग अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि मेले का आयोजन बहुत ही भव्य तरीके से किया जाएगा। मेले के दौरान हार्मनी ऑफ पाइनस, रमेश ठाकुर व रोजी शर्मा सांस्कृतिक संध्या में धमाल मचाएंगे। इनके अलावा स्थानीय कलाकार, महिला व युवक मंडल सहित स्कूली छात्र छात्राएं भी कार्यक्रम पेश करेंगे।

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