सुरभि न्यूज़
मोहिंद्र प्रताप सिंह राणा : ग्राम परिवेश
जिस लोकधर्म और जनसेवा के धर्म को हिमाचल प्रदेश के 28 भाजपा विधायक और 7 सांसद निभाने का साहस नहीं जुटा पाए, उसी धर्म को भाजपा के वरिष्ठतम नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने आत्मबल और संवेदनशीलता के साथ देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर निभाया।
यह पत्र केवल एक औपचारिक आग्रह नहीं, बल्कि उन निर्वाचित प्रतिनिधियों की चुप्पी और निष्क्रियता पर कठोरतम टिप्पणी है, जिनका प्रथम कर्तव्य था जनता के दुख-दर्द को आवाज़ देना।
आज आवश्यकता इस बात की है कि जनप्रतिनिधि अपने पद, सत्ता और सुविधाओं के मोह से ऊपर उठकर याद करें कि उन्हें जनता ने क्यों चुना है। उनका मौन, उनके क्षेत्र की त्रासदी के सामने एक प्रकार का अपराध है और जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात भी।
20 जून से शुरू हुई भीषण बरसात और अप्रत्याशित बादल फटने की घटनाओं ने हिमाचल प्रदेश को अभूतपूर्व त्रासदी में झोंक दिया। पहाड़ दरक गए, पुल बह गए, सड़कें बर्बाद हो गईं और हजारों घर मलबे में तब्दील हो गए। अब तक सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और लाखों लोग बेघर होकर विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं। बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य और संचार जैसी बुनियादी अधोसंरचनाएं बुरी तरह चरमरा चुकी हैं। प्रदेश का हर जिला इस आपदा की मार से कराह रहा है और नुकसान का अनुमान लगाना अभी मुश्किल कार्य है क्योंकि कि फोरलेन से लेकर गांव पैदल मार्ग तक रास्ते बह गए हैं।
भूस्खलन तो पहाड़ों में होते आए लेकिन भू-धंसाव की घटनाएं अनसुनी थी जो इस बार घटीं हैं । प्रदेश में हज़ारों करोड़ रुपये से अधिक आँका जा रहा है। यह केवल आंकड़े नहीं, बल्कि हिमाचल के जन-जीवन की असहनीय पीड़ा का चित्र है, जिसने हर संवेदनशील हृदय को व्यथित कर दिया है। इनमें से व्यथित हृदय शांता कुमार ने हिमाचल प्रदेश की तबाही पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और गृहमंत्री, रक्षा मंत्री,सड़क परिवहन मंत्री ,स्वास्थ्य मंत्री और वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि वे प्रधानमंत्री से तुरंत मिल कर वित्तीय मदद को अविलंब करवाएं।
पालमपुर – पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश की महाआपदा की खबरें पढ़ कर हृदय आहत हो जाता है, आँखें सजल हो उठती हैं और पल भर में अंधेरा छा जाता है। दुर्भाग्य यह है कि आपदा दिन-प्रतिदिन और भी भयंकर रूप धारण करती जा रही है।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मैंने आदरणीय प्रधानमंत्री जी को एक पत्र लिखा था। मैंने लिखा कि एक रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार के पास लगभग दो लाख करोड़ रुपये ऐसे पड़े हैं जो उन लोगों के हैं जिनका कोई कानूनी वारिस नहीं रहा। मैंने सभी बैंकों और एलआईसी की पूरी सूची समेत प्रधानमंत्री जी को यह पत्र प्रेषित किया था। यह धन राष्ट्र का है, क्योंकि परलोक से कोई भी इसे लेने नहीं आएगा।
शांता कुमार ने कहा कि मैंने उसी पत्र में आग्रह किया था कि इस धन का उपयोग राष्ट्रीय आपदा की घड़ी में किया जाए और हिमाचल की इस विभीषिका को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।
उन्होंने इस संदर्भ में आज केंद्र के आदरणीय मंत्रीगण—गृह मंत्री श्री अमित शाह, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी, स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण—को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे प्रधानमंत्री जी से मिलकर इस निर्णय को अविलंब करवाएँ।
शांता कुमार ने इसी विषय पर हिमाचल प्रदेश के सभी सात सांसदों को भी पत्र लिखकर निवेदन किया है कि वे भी एकजुट होकर प्रधानमंत्री महोदय से मिलें और यह सुनिश्चित करें कि इस दो लाख करोड़ रुपये में से कम से कम पाँच हज़ार करोड़ रुपये हिमाचल प्रदेश को आपदा राहत के लिए तुरंत प्रदान किए जाएँ।