कुल्लू दशहरा में तथाकथित देऊलों की गुंडई, ड्यूटी दे रहे तहसीलदार पर किया हमला, जान से मारने की दी धमकी,  सेक्टर ऑफिसर सहित तमाम पुलिसकर्मी थे गायब

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सुरभि न्यूज़, कुल्लू : धर्मचंद यादव : अंतरराष्ट्रीय दशहरा कुल्लू में सात दिन तक चलने वाले उत्सव के पहले दिन मेला मैदान में ड्यूटी दे रहे तहसीलदार को उत्सव में आए किसी देवता के तथाकथित देऊलों ने दिन दहाड़े गुंडागर्दी करते हुए घसीटते हुए देवता के केम्प तक ले गए परन्तु उन्हें बचाने कोई भी नहीं आया।

इस निंदनीय घिघोनी हरकत से दशहरा उत्सव के पहले दिन देवभूमि छवि की तार-तार हो गई। देवता के तथाकथित देऊलों ने तहसीलदार के साथ न केवल अभद्रता की, बल्कि उन्हें जान से मारने का भी प्रयास किया। उन्हें दशहरा उत्सव आयोजन स्थल ढालपुर मैदान से कॉलर से पकड़ कर धक्का मुक्की और लात घूंसे मारते हुए जो घसीटते हुए अपने देवता के कैंप तक ले गए जो बेहद ही घटिया व खेदजनक घटना है।

हालांकि इस बार दशहरा आयोजन को लेकर पुलिस महकमे के आला अधिकारियों ने दशहरा उत्सव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था की चाक चौबंदी को लेकर बड़ी-बड़ी डींगें हाँकी थी।

लेकिन हैरत इस बात की है कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान उस सेक्टर के अधिकारियों सहित तमाम पुलिस कर्मचारी गायब रहे। हालांकि यह सूचना भी मिली कि शुरू में दो-तीन पुलिस कर्मियों ने तहसीलदार को छुड़ाने का प्रयास भी किया। लेकिन उसके बाद वह भी घटनास्थल से गायब हो गए।

गौरतलब है कि इस बार दशहरा उत्सव आयोजन स्थल ढालपुर में जिला प्रशासन द्वारा 14 सेक्टर बनाए गए हैं। जिन में एक पुलिस अधिकारी सहित 3 सेक्टर ऑफिसर तथा लगभग 60 से 70 पुलिस कर्मचारी तैनात किए गए हैं।

लेकिन जब तथाकथित देऊलू तहसीलदार के साथ गुंडई कर रहे थे। तो उस दौरान एक भी पुलिस कर्मचारी मौके पर मौजूद नहीं था। जो थे भी वह भी मौके से गायब हो गए। जबकि गुंडा तत्व देऊलू तहसीलदार के साथ लगातार अमानवीय व्यवहार करते रहे। उन्हें लात घूंसों से पीटते रहे, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस कहीं भी मौजूद नहीं रही।

अगर साफ तौर पर कहा जाए तो इस पूरे मामले में पुलिस की नालायकी की वजह से एक न्यायिक दंडाधिकारी यानी तहसीलदार के साथ ढालपुर मैदान में मारपीट होती रही। लेकिन उन्हें बचाने के लिए पुलिस का कोई भी जवान व अधिकारी मौके पर नहीं था।

जबकि इस बार दशहरा उत्सव की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस महानिदेशक द्वारा मंडी के डीआईजी सहित दो अन्य एसपी भी तैनात किए गए हैं। इनके अलावा दशहरा उत्सव की सुरक्षा व्यवस्था के लिए लगभग 1200 पुलिस कर्मचारी तैनात किए गए हैं।

लेकिन जो पुलिस एक तहसीलदार जैसे अधिकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है, उससे दशहरा उत्सव के दौरान आम आदमी की सुरक्षा व्यवस्था की क्या उम्मीद की जा सकती है।

हालांकि इस संदर्भ में कुल्लू के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव चौहान का कहना है कि उस दौरान सभी पुलिस कर्मचारियों को रथ यात्रा के लिए बुला लिया गया था। उनका यह भी कहना है कि घटनाक्रम की सूचना मिलते वह खुद और अन्य पुलिस कर्मचारी भी मौके पर पहुंचे।

लेकिन तहसीलदार द्वारा पुलिस में लिखवाई गई एफआईआर के मुताबिक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक व प्रशासनिक अधिकारियों के मौके पर पहुंचने के बावजूद भी तथाकथित देऊलों की गुंडई जारी रही। लेकिन उन्हें बचाने का प्रयास किसी स्तर पर नहीं किया गया।

वहीं इस संदर्भ में शुक्रवार को दिनभर कुछ मीडिया कर्मियों ने इस संदर्भ में उपायुक्त तोरुल एस रवीश से भी बात करनी चाहिए। लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई बल्कि एक कुछ बार मीडिया कर्मी उनके कार्यालय भी पहुंच गए थे। लेकिन उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस होने की बात कह कर मीडिया कर्मियों को बाद में आने के लिए कह दिया।

दूसरी तरफ जिला कारदार संघ के अध्यक्ष दोत राम ठाकुर का कहना है कि इस तरह की घटना बेहद निंदनीय है और देव समाज के लिए यह वास्तव में ही शर्मनाक है देवता के नाम पर इस तरह की घटनाओं को किसी भी स्तर पर सहन नहीं किया जा सकता है।

दोतराम ठाकुर का कहना है कि जिन लोगों ने तहसीलदार के साथ यह अमानवीय व्यवहार किया है। उनके खिलाफ निश्चित तौर पर कार्रवाई होनी चाहिए। अगर किसी अधिकारी या आम व्यक्ति से देवता के नियमों की उल्लंघना होती है तो ऐसे में देवता को अधिकार है कि वह उस व्यक्ति को दंड दे।

लेकिन देऊलों द्वारा मनमाने तरीके से इस तरह एक अधिकारी को घसीटते व मारपीट करते हुए ले जाना और उनके साथ अभद्र व्यवहार करना देवसमाज के लिए बेहद ही शर्मनाक है। उनका कहना है कि देवता कभी भी इस तरह किसी व्यक्ति के साथ अमानवीय व्यवहार करने की इजाजत नहीं देता है।

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