सुरभि न्यूज़
कुल्लू, 04 अक्टूबर
अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव कुल्लू के शुभारंभ अवसर पर जिस तरह से तथाकथित देउलुओं की गुंडई का शिकार हुए कुल्लू के तहसीलदार हरि सिंह मामले में अभी तक जिला प्रशासन की तरफ से कोई भी आधिकारिक तौर पर बयान नहीं आया है। बल्कि पुलिस व प्रशासन के जिन भी अधिकारियों से इस संबंध में बात करनी चाहिए, सब ने चुप्पी साथ ली है।
ऐसे में साफ़ तौर पर जाहिर हो रहा है कि पुलिस व प्रशासन तथाकथित देउलुओं की गुंडई के आगे नतमस्तक हो गया है। हालांकि शुक्रवार को कुछ मीडिया कर्मियों ने उपायुक्त से मिलने का प्रयास किया। लेकिन वह लगातार व्यस्त होने की बात करके मामले पर कुछ बोलने से टलती रही, जबकि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव चौहान ने भी इस मामले में गोल-मोल बात करते हुए अपनी बात खत्म कर दी।
शुक्रवार को उपयुक्त द्वारा तहसीलदार व उनकी धर्मपत्नी को बैठक के लिए बुलाया था, जिसमें उपायुक्त के अलावा एसपी व अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। लगभग डेट दो घंटा चली इस बैठक में भी तहसीलदार व उनकी धर्मपत्नी को केवल कार्रवाई के आश्वासन दिए गए। लेकिन सार्वजनिक तौर पर सभी अधिकारी अपने ही जिला के अधिकारी के पक्ष में बोलने से घबरा रहे है।
हैरत इस बात की है कि तहसीलदार हरि सिंह उपायुक्त के आदेशानुसार ही मेला स्थल में काम कर रहे थे। उनके दिशा निर्देशन में तहसीलदार देवताओं से संबंधित तमाम शिकायतों का निवारण भी कर रहे थे। अब सवाल यह उठता है कि जब एक तहसीलदार यानी मजिस्ट्रेट के साथ उपायुक्त की नाक तले इतनी बड़ी घटना हो जाती है और उपायुक्त पूरी तरह से खामोशी धारण करके बैठ जाए तो निश्चित तौर पर यह प्रशासन के लिए बेहद ही शर्मनाक बात है, जबकि इस घटना के बाद तमाम अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी देवताओं से संबंधित कामकाज को निपटने में असहज महसूस कर रहे हैं।
शुक्रवार को सुरभि न्यूज़ द्वारा मेले में तैनात विभिन्न अधिकारियों व कर्मचारियों से इस मसले पर चर्चा की गई। तो उनमें भी कहीं न कहीं इस बात को लेकर भय है कि अगर कहीं देवताओं से संबंधित समस्याओं का निराकरण करते हुए उनसे कहीं अनजाने में कोई गलती हो गई तो उनके साथ भी इसी तरह का व्यवहार हो सकता है। इतना ही नहीं बल्कि देवताओं और देउलुओं की सेवा में दिन रात तैनात रहने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों में देव मर्यादाओं के बहाने इस तरह की गुंडागर्दी करने से देवताओं के प्रति आस्था भी खंडित होती जा रही है।
लेकिन इस सारे मामले में अति आवश्यक सवाल यह है कि प्रशासनिक तौर पर किसी भी अधिकारी ने खुलकर तहसीलदार के पक्ष में एक शब्द भी नहीं बोला। अपने ही अधिकारी के बचाव में बोलने से घबरा रहे हैं, जबकि देवसमाज के लोग देवता की मर्यादा के बहाने इस तरह की गुंडागर्दी को बेहद ही दुखद व शर्मनाक मान रहे हैं। वहीं, जिला कारदार संघ के अध्यक्ष दोतराम ठाकुर ने भी तरह की घटना को बेहद ही निंदनीय बताते हुए देव आस्था के खिलाफ बताया।
जानकारों की माने तो प्रशासन देउलुओं के उग्र होने के भय से कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। प्रशासन का मानना है कि अगर इस समय तथाकथित गुंडा तत्व देउलुओं के खिलाफ कार्रवाई की गई तो अन्य देवताओं के साथ आए देऊलू भड़क सकते हैं। इस डर से तमाम प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साथ गए हैं, जबकि तहसीलदार हरि सिंह व उनके परिजन लगातार इस मामले में कार्रवाई करने की गुहार लगा रहे हैं। मगर उन्हें केवल आश्वासन ही दिए जा रहे हैं।