सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
कुल्लू, 29 अगस्त
इस वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा तिथि 30 और 31 अगस्त दो दिनों तक रहेगी। रक्षाबंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह विशेष ध्यान दिया जाता है कि श्रावण पूर्णिमा तिथि पर भद्रा काल न हो, लेकिन इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा काल शुरू हो जाएगा।
श्रावण पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होने के साथ भद्रा भी शुरू हो कर रात के करीब 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन पर भद्रा काल के समय भाईयों की कलाई पर राखी नहीं बांधी जाती है।
शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ समय माना जाता है और भद्रा के खत्म होने पर ही राखी बांधना शुभ रहेगा। भद्रा काल 30 अगस्त रात करीब 09 बजकर 01 मिनट पर समाप्त हो जाएगी, उसके बाद राखी 31 अगस्त सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक बांधने का शुभ समय है। परन्तु कुछ विद्वानों का मानना है कि रात को राखी बांधना शुभ नहीं है।
शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल को अशुभ माना गया है और इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य करने को विद्वानों मना करने कि सलाह देते हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भद्रा भगवान सूर्य और माता छाया की पुत्री हैं। भद्रा और शनि भाई-बहन हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी पूर्णिमा तिथि पड़ती है उसका शुरूआती आधा हिस्सा भद्राकाल रहता है।
इस वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पावन पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त 2023 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू हो जाएगी और पूर्णिमा तिथि का समापन अगले दिन यानि 31 अगस्त 2023 को सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर हो जाएगा।
इसलिए हिंदू पंचांग के अनुसार ऐसे में 31 अगस्त को उदया पूर्णिमा में ही रक्षाबंधन 7 बजकर 7 मिनट तक मनाना उचित रहेगा। क्योंकि उदयातिथि की मान्यता सूर्यास्त तक रहती है इसलिए पूरे दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है।