प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश में एनएचपीसी की 2880 मेगावाट दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना का किया शिलान्यास 

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सुरभि न्यूज़ ब्युरो

ईटानगर (अरूणाचल प्रदेश)

भारत के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी द्वारा आज ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश में आयोजित ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह में एनएचपीसी की 2880 मेगावाट दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना (अरुणाचल प्रदेश) का शिलान्यास किया गया गया।

इस समारोह में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाईक, अरुणाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री पेमा खांडू और अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री चोवना मेन भी उपस्थित थे।

2880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना अरुणाचल प्रदेश के लोअर दिबांग घाटी जिले में मुनली गांव के पास स्थित है।

इस परियोजना में 278 मीटर ऊंचा बाँध बनेगा जो भारत का सबसे ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी बाँध होगा।

इस बाँध को रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट तकनीक से बनाने की योजना है और आरसीसी बाँध के रूप में यह दुनिया का सबसे ऊंचा आरसीसी बाँध होगा।

दिबांग बाँध का लक्ष्य है कि एक महीने में 5 लाख क्यूबिक मीटर से अधिक कंक्रीट की पीक बनाई जाए, जो दुनिया में पहली बार होगी।

यह परियोजना सालाना 11223 मिलियन यूनिट जलविद्युत का उत्पादन करेगी, जो स्वच्छ और हरित ऊर्जा है और इसे उत्तरी ग्रिड में फीड किया जाएगा। परियोजना की निर्माण अवधि 108 महीने है और इसे फरवरी 2032 में कमीशन किया जाना निर्धारित है।

परियोजना में निर्माण चरण के दौरान 500 व्यक्तियों को और प्रचालन के दौरान 300 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है।

इसके अलावा, परियोजना में निर्माण चरण के दौरान 5000 व्यक्तियों को और प्रचालन के दौरान 500 व्यक्तियों को अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

यह परियोजना अरुणाचल प्रदेश राज्य को 12% निशुल्क विद्युत और राज्य के विकास हेतु स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के लिए अतिरिक्त 1% निशुल्क विद्युत प्रदान करेगी।

यह परियोजना राज्य और देश को नेट ज़ीरो लक्ष्य की दिशा में अपनी यात्रा की मंजिल को हासिल करने में सक्षम बनाएगी।

इस परियोजना को विद्युत उत्पादन के साथ बाढ़ नियंत्रण के प्रमुख उद्देश्य के लिए एक भंडारण परियोजना के रूप में डिज़ाइन किया गया है।

बाढ़ नियंत्रण के उद्देश्य से, मानसून में जलाशय को एफआरएल (पूर्ण जलाशय स्तर) के स्तर से नीचे रखते हुए 1282.60 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) की क्षमता का निर्माण किया जाएगा।

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