कुल्लू के रामशिला गीता आश्रम में गीता जयंती का श्रद्धापूर्वक किया आयोजन 

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सुरभि न्यूज़
कुल्लू

स्वामी गीतानंद जी महाराज भिक्षु के अनुयायियों ने कल गीता जयंती मनाने के लिए कुल्लू शहर में प्रभात फेर निकाली। श्रद्धालु गीता आश्रम रामशिला से लेकर सुल्तानपुर स्थित रघुनाथ मंदिर तक भगवद्गीता के भजन व स्तुति गाते हुए गए। शिष्य देवेश मिश्रा ने बताया कि आश्रम में हवन के साथ ही गीता के सभी 18 अध्यायों का पाठ किया गया। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

उन्होंने बताया कि यह उत्सव पिछले तीन दिनों से मनाया जा रहा है। एक श्रद्धालु ऋषि ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार यदि इस दिन गीता के श्लोकों का पाठ किया जाए तो व्यक्ति के पूर्व जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि भगवद्गीता में अनेक विद्याओं का वर्णन है, जिनमें से चार प्रमुख हैं – अभय विद्या, साम्य विद्या, ईश्वर विद्या और ब्रह्म विद्या। मान्यता है कि अभय विद्या मृत्यु के भय को दूर करती है।

साम्य विद्या आत्मा को राग-द्वेष से मुक्त कर आत्मा में समता का भाव पैदा करती है। ईश्वर विद्या के प्रभाव से साधक अहंकार और अभिमान के विकारों से दूर रहता है। ब्रह्म विद्या आत्मा में ब्रह्म भाव को जागृत करती है। गीता के महात्म्य पर भगवान कृष्ण ने पद्म पुराण में कहा है कि जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति के लिए गीता ही पर्याप्त ग्रंथ है। गीता का उद्देश्य ईश्वर का ज्ञान माना गया है।

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