सुरभि न्यूज़
ख़ुशी राम ठाकुर, बरोट
जिला काँगड़ा की छोटा भंगाल की धरमाण पंचायत के नेर गाँव में स्थित घाटी वासियों की अटूट आस्था का प्रतिक देवादि देव गहरी नेर की ख्याति न केवल छोटाभंगाल, चौहार घाटी बल्कि दूरदराज क्षेत्रों में भी देव गहरी को मानते हैं। घाटी में कभी और किसी भी समय प्राकृतिक आपदा आने पर घाटी के लोग देव गहरी नेर की शरण में आ जाते हैं, जिस पर लोगों की गुहार सुनते ही देव गहरी अपने चुने हुए गुर के माध्यम
से तुरंत प्रभाव से उनकी हर समस्याओं का अवश्य ही प्रावधान करते हैं। देवता गुर के माध्यम से समस्याओं का निवारण कर दिया जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अगर घाटी या फिर नेर गाँव का जो भी व्यक्ति देवता के खिलाफ कहता है तो उसे देव गहरी की देव शक्ति का प्रकोप झेलना पड़ता है। मुल्थान पंचायत पूर्व प्रधान व देव गहरी के गुर भाग सिंह बताते हैं कि देव गहरी का मंदिर सदियों पूर्व शंगरेड़ गाँव में था, मगर देवता का सामान चोरी न हो इसके डर से इस मंदिर को शंगरेहड़ गाँव से पास वाले सरमाण गाँव में स्थापित किया गया।
वहां से भी कुछ वर्षों के बाद देवता के सोने व चांदी के आभूषण चोरी हो गए मगर लकड़ी से निर्मित देवता की मूर्ति को चोर बीच रास्ते में ही छोड़ गए। अगले दिन गाँव वासियों ने उस मूर्ति को देख इसकी पूजा–अर्चना शुरू कर दी। लोगों ने बताया कि एक बुजूर्ग महिला ने रात के समय मौक़ा पाकर मूर्ति को उठा कर अपने घर ले गई। रात सपने में उस महिला को देवता ने अपने बारे में बताया। अगली सुबह उस महिला ने इस बारे में गाँववासियों को इसकी सूचना दी।
उसके बाद देवता की गुर के माध्यम से भविष्यवाणी हुई और नेर गाँव में देवता का मंदिर बनाया गया। तब से देवता के प्रति लोगों की अटूट आस्था जुड़ी है। भाग सिंह ने बताया कि उसके बाद आजतक देव गहरी मंदिर में आने वाले सभी लोगों की मन्नते पूरी होती हैं। वहीँ समय–स मय पर देवता के अधीन आने वाले क्षेत्र के हर गाँव की परिक्रमा कर गाँववासियों की हर समस्याओं का निवारण भी करते हैं।