सुरभि न्यूज़ ब्युरो
शिमला
हिमाचल प्रदेश में बुधवार मध्यरात्रि वीरवार तड़के बारिश लोगों पर काल बनकर बरसी। गहरी निद्रा में सोए लोगों को कतई आभास भी नहीं हुआ कि मौत उनके सिर पर आ गई है। इस मौत की बारिश ने कई परिवारों का तो नामोनिशान ही मिटा दिया।
गौरतल है कि छह जगह बादल फटने से भारी तबाही मची है। पांच लोगों की मौत हुई है। इनके शव बरामद हो चुके हैं। जबकि अभी भी 48 लोग लापता हुए हैं। 47 घर, 10 दुकानें, 14 पुल, तीन स्कूल, एक डिस्पेंसरी, बस अड्डा, 30 वाहन, दो बिजली प्रोजेक्ट और एक बांध बह गया है।
कुल्लू जिले में नैन सरोवर, भीमडवारी, मलाणा, मंडी में राजवन, चंबा में राजनगर और लाहुल के जाहलमा में बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं। इस मानसून ने एक रात की बारिश में बीते साल की आपदा के जख्मों को फिर से ताजा कर दिया। प्रदेश में सात घंटों में सामान्य से 305 मिलीमीटर ज्यादा बारिश रिकॉर्ड हुई है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने खराब मौसम को देखते हुए मंगलवार रात से रेड अलर्ट जारी किया था। प्रदेश में दो एनएच समेत 445 सड़कें बंद चल रही हैं। प्रदेश में नदी- नाले उफान पर हैं। ब्यास का जलस्तर बढ़ने पर पंडोह डैम से पानी छोड़ना पड़ा।
जिला कुल्लू के निरमंड में रात 12 बजे नैन सरोवर और भीमडवारी में एकसाथ बादल फटे। इसका पानी बागीपुल, समेज और गानवी की तरफ आया और 30 किमी नीचे तक तबाही मचाई। शिमला-कुल्लू की सीमा पर समेज में खड्ड में आई बाढ़ में 30 मकान बह गए। यहां छह बच्चों समेत 36 लोग लापता हैं।
इनमें चार प्रवासी, ग्रीनको समेज परियोजना के सात कर्मचारी और 22 स्थानीय लोग शामिल हैं। बाढ़ में 150 पशु भी बह गए। एक स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और दो बिजली प्रोजेक्ट ध्वस्त हो गए।