आजादी के बाद विकास की राह देखता छोटा भंगाल व चौहार घाटी क्षेत्र

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सुरभि न्यूज़

ख़ुशी राम ठाकुर, बरोट

छोटा भंगाल व चौहार घाटी क्षेत्र में आजादी के बाद विकास कि तरफ दौड़ाई जाए तो अभी भी ये पिछड़ा हुआ नज़र आ रहा है। आजतक सता में रहने वाले नेताओं ने बोट बटोरने के लिए यहां छोटे – छोटे विकास कार्यों के अलावा कोई भी बड़े शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य कोई भी औद्योगिक संस्थान नहीं खोलने से आज भी विकास के लिए तरस रहा है। दोनों क्षेत्रों से प्रतिनीधित्व करने वाले विधायक कई बार मंत्री पदों पर रहने के वाबजूद कोई भी बड़ी योजना यहाँ के लिए नहीं दिला सके।

लाइफ लाईन कही जाने वाली सड़क सुविधा से कई गांव आज भी वंचित है वहीं लोगों का मुख्य पेशा भेड़ – बकरी व पशु पालन है परन्तु कई स्थानों में सरकार पशुपालकों की सुविधा के लिए पशु औधालय ही नहीं खोल पाई है। चौहार घाटी के बरोट तथा छोटा भंगाल में पर्यटन व्यवसाय कि अपार संभावनाएं है लेकिन क्षेत्र में पर्यटकों की बेहतर सुविधा के लिए सम्पूर्ण सुविधा मुहैया नहीं करवा पाई है।

वहीँ छोटा भंगाल में उच्च शिक्षा के लिए मुल्थान में महाविद्यालय तो खोल रखा है परन्तु यहां पर प्राचार्य सहित प्रोफेसरों के कई पद खाली चलने के साथ यहां पर स्थापित लगभग सभी सरकारी संस्थानों में अधिकारी से ज्यादा पद खाली पड़े हुए है। दोनों क्षेत्रों के लिए इस महाविद्यालय के अलावा कोई भी बड़ा शिक्षण, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य तथा औद्योगिक संस्थान भी नहीं है। दोनों क्षेत्रों में सरकार शिक्षा व स्वास्थय व्यवस्था को सुदृढ़ करने मे भी नाकाम सिद्ध हुई है।

स्थानीय सुभाष ठाकुर, भागमल, रूप लाल, सुरेश कुमार, रोशन लाल, गंगी देवी तथा भीम सिंह का कहना है कि मंत्री पद पर रहते हुए यहाँ का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक दोनों क्षेत्रों की तरह ध्यान देते तो सभी सुविधाएं बहुत पहले ही मिल जानी चाहिए थी मगर प्रदेश में सता में रहने वाली आजतक की किसी भी सरकार ने यहां का विकास करवाने में कोई रूचि नहीं दिखाई जिससे विकास के नाम से आज भी दोनों क्षेत्र विकास कि राह देख रहे है।

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