सुरभि न्यूज़
ख़ुशी राम ठाकुर, बरोट
छोटाभंगाल के बड़ा ग्रां पंचायत के राजगुन्धा के ऊपर दक्षिण की और लगभग आठ हज़ार फुट की ऊँचाई पर फुतकी गढ़ नामक जय हनुमान की मूर्ति स्थापित है। स्थानीय जोग राज व हिमराज बताते हैं कि सदियों पूर्व इस जय हनुमान की मूर्ति को लंका के राजा रावण ने इस स्थान से चालीस किलोमीटर दूर बड़ा भंगाल से अपनी पीठ पर पैदल रास्ते से उठाकर लाये थे। किसी कारण वश रावण ने राजगुन्धा गांव से ऊपर फुतकी गढ़ नामक स्थान पर जमीन पर रख दिया। जब राजा मूर्ति को ले जाने के लिए उठाने लगा तो मूर्ति इतनी भारी हो गई कि राजा से मूर्ति उठाई नहीं गई और मूर्ति को छोड़ कर चला गया। तब से आजतक हनुमान की तीन फुट की लम्बी तथा लगभग एक फुट चौड़ी मूर्ति खुले आसमान तले यहां पर विराजमान है। जय हनुमान की मूर्ति स्थानीय लोगों का आस्था का केन्द्र बनी हुई है।
जय हनुमान की मूर्ति का रहस्य यह है कि सदियों से लेकर आजतक इस मूर्ति का मुख उतर दिशा की ओर स्थित है। यहां के स्थानीय देवी – देवताओं के गुर, पुजारियों तथा पंडितों ने कई बार मूर्ति के मुख की दिशा तीनों दिशा की ओर मोड़ने की कोशिश की, मगर उसके दूसरे दिन मूर्ति के मुख की दिशा उत्तर दिशा की तरफ खड़ी हुई दिखाई देती है।
वहीँ दूसरा रहस्य यह है कि इस मूर्ति में इतनी शक्ति है कि मूर्ति इतनी छोटी होने के बावजूद भी इसे दूसरी जगह स्थापित करने के लिए लोगों द्वारा कई बार उठाने की कोशिश की गई मगर मूर्ति का मात्र नीचे का एक ही सिरा हिल पाता है। इसके विपरीय अगर जो व्यक्ति भोलेपन से इसे उठाने की कोशिश करता है तो यह उठ भी जाती है। इसके साथ यहां आने वाले लोगों की मन्नत माँगने पर अवश्य पूरी कर देती है। दूरदराज क्षेत्र में होने के बावजूद लोग मूर्ति के आगे नमस्तक होने के साथ मन्नतें मांगना कभी नहीं भूलते हैं।
जय हनुमान की मूर्ति को एक भव्य मंदिर बनाने की जरूरत है, जिसमें मूर्ति को पूरे विधिविधान के साथ विराजमान किया जा सके। इस बारे में बड़ा ग्रां पंचायत की प्रधान चंद्रमणी देवी तथा कोठी कोहड़ पंचायत की प्रधान रक्षा देवी का कहना है कि फुतकी गढ़ में जय हनुमान की मूर्ति बिल्कुल एकांत और खुले आसमान तले विराजमान है मगर लोगों की अटूट आस्था का केन्द्र बनी हुई है। उन्होंने विशवास दिलवाया कि पंचायत स्तर पर प्रस्ताव पारित कर भव्य मंदिर का निर्माण करने के प्रयास सभी मिल कर करेंगे।