सुरभि न्यूज़
ख़ुशी राम ठाकुर, बरोट
किसी भी नेक कार्य के लिए नेक सोच का होना जरूरी होता है। आज की कहानी भी एक ऐसे युवक की है, जिन्होंने जब से होश संभाला है तभी से समाजसेवा के लिए अपना योगदान देते आ रहे है। यह एक ऐसी तिकड़ी का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने निस्वार्थ सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
शिवनगरी बैजनाथ की पवित्र भूमि पपरोला से संबंध रखने वाले राजकुमार शर्मा ने 24 वर्ष की आयु से रक्तदान शुरू किया और 58 साल की आयु तक निस्वार्थ भाव से अपनी सेवाएं देते आ रहे है। अपनी इस समयाविधि में राजकुमार ने 103 बार रक्तदान, 3 बार एसडीपी तथा 1 बार बोनमैरो कर चुके हैं। साथ में रक्तदान शिविरों को आयोजित करने में भी इन्होंने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है। फोन के माध्यम से भी जरुरत मंद लोगों को रक्त की पूर्ति भी इनके माध्यम से होती है। उन्हके रक्त धमनियों में बहता रक्त आज अनगिनत जरूरतमंद लोगों के लिए प्राणवायु बन चुका है।
समाजसेवी राजकुमार शर्मा अबतक दो लावारिस लाशों का सम्पूर्ण विधि विधान से अंतिम संस्कार भी कर चुके हैं। पौधा रोपण तथा बच्चों की शिक्षा में सहायता करने में सदैव आगे रहते है।
राजकुमार का कहना है कि मेरी नन्हीं पोती का अकस्मात् दुनिया से रुखसत हो गई जो मुझे बहुत बड़ा घाव दे गई।आज भी पपरोला कन्या स्कूल में जहां पोती पढ़ती थी, अब प्रतिवर्ष हम परिवार सहित पाठशाला में जाकर बच्चों को जरूरत का सामान वितरण करते हैं और पोती की याद में वाटिका का भी निर्माण किया है।
राजकुमार कई संस्थायों द्वारा उनकी निस्वार्थ सेवा भाव के लिए सम्मानित भी हो चुके हैं। राजकुमार शर्मा का कहना है कि जरूरत मंद की सेवा करने में जो उन्हें सुकून मिलता वही सबसे बड़ा सम्मान है। हाल ही में इन्होंने रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए बाईक यात्रा का आयोजन भी किया जो बड़ा प्रशंसनीय रहा।
राजकुमार युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए समाज सेवा के प्रति भी जागरूक कर रहे है ताकि सही दिशा मे अपने जीवन को आगे लेकर बढ़ सके। इन्होने अनुराग शर्मा, मनोज कपूर, राजीव धारियां व राजेश को समाज सेवा के प्रति अपने साथ जोड़ा है जो अपनी इस दिशा में सही उतर रहे है।
निस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा करने में जो सुकून मिलता है वही सबसे बड़ा सम्मान है – राजकुमार