प्राकृतिक आपदा, भारी बरसात की त्रासदी : अतीत, वर्तमान और भविष्य 

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सुरभि न्यूज़
नरेन्द्र भारती वरिष्ठ पत्रकार, मंडी

हिमाचल प्रदेश के लोगों ने बेरहम बरसात की अतीत की खौफनाक व त्रासद घटनाओं से सबक नहीं सीखा वर्तमान में भयावह घटनाएं घटित हो रही हैं। अतीत में बहुत मानवीय त्रासदी हुई थी और वर्तमान में भी तबाही की डरावनी व खौफनाक पुनरावृति हो रही है। 2 सितंबर 2025 को मंडी के सुन्दरनगर के जंगमबाग गांव में भारी वर्षा के कारण पहाड़ी मे भूस्खलन हुआ। इस दर्दनाक हादसे में सात लोगों की मौत हो गई। प्रतिदिन भूस्खलन हो रहे हैं और लाशों के अंबार लह रहे हैं। बरसात ने घर के घर तबाह कर दिए और सब कुछ लील लिया। चिराग बूझ गए परिवार के परिवार खत्म हो गए।

प्राकृतिक आपदा से प्रदेश में अब तक 320 लोगों की मौत हो चुकी हैं। 40 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। 20 जून से अब तक 231 बार आपदाएं आई हैं। 95 बार भूस्खलन, 91 बार फलैश फल्ड और 45 बार बादल फटे हैं। मणिमहेश यात्रा में फंसे 15000 तीर्थयात्रियों मे से 10000 को सुरक्षित निकाल लिया गया है। यात्रा के दौरान 17 श्रध्दालुओं की जान चली गई है। इन हादसों से सबक लेकर भविष्य को सुरक्षित करना होगा, ताकि मानवीय तबाही रुक सके। आपदा प्रबंधन को मजबूत बनाना होगा ताकि ऐसी रौंगटे खडे़ कर देने वाली त्रासदियां रुक सके। त्रासदी झेल चुके लोगों के जख्म तो भर जाएंगे लेकिन निशान अमिट रहेगें। सर्तकता व सावधानी बरतनी होगी तथा जीवनशैली बदलनी होगी।

सरकार ने राष्टीय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 34 के तहत पूरे हिमाचल प्रदेश को आपदा प्रभावित राज्य घोषित कर दिया है। प्रदेश में भारी वर्षा, भूसखलन, बादल फटने और बाढ़ से 31 अगस्त तक 3056करोड़ रुपये का प्रारंभिक नुकसान आंका गया है। बरसात से हिमाचल के सात प्रभावित जिलों में क्रमशः मंडी, कुल्लु, चंबा, शिमला, लाहौल स्पिति, कांगड़ा और हमीरपुर शामिल हैं।

मनुष्य द्वारा अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति से अनावयक छेड़छाड़ से प्रकृतिक आपदाओं को रोक तो नहीं जा सकता है, परन्तु अब भी समय है अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति से खिलवाड़ न करके अपने आप को सुरक्षित कर सकते है। प्राकृतिक आपदाओं से हो रहे भयानक परिणामों से न तो लोग सबक सीख रहे हैं और न ही सरकारें सबक सीख रही है। कुछ दिन सरकारी अमला औपचारिकता निभाता है और उसके बाद अगली घटना तक कोई कारगर हल नहीं निकाला जाता है।

वर्तमान में हुई घटनाओं के आंकडे़ बहुत ही डरावने हैं। सैंज में भी बादल फटने से आई बाढ़ में पिता और पुत्री की मौत हुई थी। 30 जून 2025 को सराज में बादल फटने व बाढ़ आने से सब कुछ तबाह हो गया सराज कभी गुलजार रहता था आज विरान हो चुका है। यहां बाढ़ के कारण पंगलियूर गांव के एक ही परिवार के 11 लोग बेमौत मारें गए, केवल मात्र एक लड़की ही बच सकी थी। सराज के बाद मंडी में भी ऐसी ही घटना हुई जिसमें एक ही परिवार के तीन लोग मारे गए थे। 2024 में निरमंड के समेज में बहुत बड़ा हादसा हुआ था, जहां बादल फटने से पूरा गांव बह गया था। यहां लगभग 45 लोग मारे गए थे। अतीत की त्रासदियों को देखें तो आत्मा सिहर उठती है। 20 अगस्त 2022 को मंडी के गोहर में बादल फटने से एक मकान जमीदोज हो गया जिसमें एक ही परिवार के आठ लोग जिंदा दफन हो गए थे। जब एक घर से आठ अर्थियां उठी तो कायनात कांप उठी थी। 25 जुलाई को किन्नौर में भूस्खलन की चपेट में आने से 9 पर्यटकों की दर्दनाक मौत हो गई थी। अतीत को भूला दिया गया कोई सबक नहीं सीखा नतीजन हादसे दर हादसे हो रहे हैं।

16 जून 2025 से हिमाचल में बरसात का कहर मचा हुआ है। यह बरसात लगातार से हो रही है। जुलाई, अगस्त दो महीने लगातार बरसात होती रही अब सितंबर माह में भी यह बरसात निरंतर जारी है। अब पता नहीं कब तक यह सिलसिला जारी रहेगा यह भविष्य के गर्भ में है। बरसात के कहर ने जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। देश में हजारों लोग मौत के मुहं में समा चुके हैं। बरसात के रौद्र रुप से हर तरफ तबाही का मंजर है। आज मानव अपनी करनी पर पछतावा कर रहा है लेकिन अब कोई इस समस्या हल नहीं है।

लाचार व बेसहारा हो चुका मानव अब आंसू बहा रहा है।मानव अपनी गलतियों का नतीजा भुगत रहा है। काश पूर्व में यह गलतियां न की होती तो आज यह दुर्गति ना होती मगर माया में अंधा हो चुका इनसान बेहोश हो चुका था तब तक होश आया सब कुछ तबाह हो गया अब अपने किए कर्मौं का फल प्राप्त कर रहा है। किन्नौर से लेकर भरमौर तक बरसात का कहर बरप रहा है।प्रतिवर्ष प्राकृतिक आपदाएं अपना जलवा दिखाती रहती है तो कभी बाढ का रौद्र रुप जिंदगियां लीलता है।कहते हैं कि प्राकृतिक आपदाओं को रोक तो नहीं सकते परन्तु अपने विवेक व ज्ञान से अपने आप को सुरक्षित कर सकते हैं।देश के हर राज्य में बरसात का कहर बरप रहा है। प्रतिवर्ष लाखों लोग आपदा का दंश झेल रहे हैं। हादसों में लोग अपंग हो रहे हैं बच्चे अनाथ होते जा रहे है।

प्रकृति से छेड़छाड़ बंद करनी होगी तभी इन हादसों पर रोक लग सकती है। अगर अब भी प्रकृति से खिलवाड़ बंद नहीं किया तो मानव को ऐसी सजाएं मिलती रहेगी। आपदाओं से सबक सीखना चाहिए ताकि आने वाले भविष्य को सुऱिक्षत किया जा सके।

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