सुरभि न्यूज़
कुल्लू
ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश एवं हिमाचल कला भाषा एवं संस्कृति अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में कलाकेन्द्र कुल्लू में आयोजित किए जा रहे 13 दिवसीय ‘हिमाचल नाट्य महोत्सव’ के चैथे दिन आकार थिएटर सोसायटी मण्डी के कलाकारों ने व्यंग्य नाटक ‘भोला राम का जीव’ का सफल मंचन किया। हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित कहानी पर आधारित इस नाटक का निर्देश दीप कुमार ने किया। कहानी एक ऐसे आदमी भोलाराम की है जो मरने के बाद भी यमदूत को गच्चा देकर कहीं भाग जाता है और यमपुरी पहुंचता ही नहीं। इससे यमलोक में हड़कम्प मच जाता है स्वयं यमराज इसका कड़ा संज्ञान लेते हैं कि इस तरह की लापरवाही क्यों हो रही है। ऐसे तो यमलोक का सारा सिस्टम ही गड़बड़ाएगा। अब यमराज धरती लोक पर भोला राम के जीव की खोज में ब्रम्हाण्ड के सबसे बड़े खबरी स्वयं नारद जी को धरती पर भारत द्वीप में भेजते हैं। नारद जी के सहारे नाटक में भारत में तरह तरह की समस्याओं को और व्यवस्था में फैली बुराइयाँ को दिखाया गया।
पहले नारद भोला राम के घर पहुंचते हैं तो उसकी बेटी और पत्नी की गरीबी को देखते हैं। भोला राम की पत्नी बताती है कि रिटायर होने के पांच साल बाद भी भोला राम की पेंशन चालू नहीं हुई और गरीबी और भुखमरी में प्राण त्याग दिए। जब नारद जी कमेटी के दफ्तर पहुंचते हैं तो वहां के बाबू उनकी वीणा, खड़ताल, उनके आभूषण सब रिश्वत में मांग लेते हैं तो जाकर भोला राम की फाईल बाहर निकालते हैं। बड़े बाबू ज़रा ऊंचा सुनते हैं और पूछते हैं कि किसकी फाईल, तो नारद जी ज़ोर से कहते हैं भोला राम। उसी वक्त फाईल में से आवाज़ आती है हांजी बोलिए क्या मेरी पेंशन का आर्डर आ गया? इस प्रकार अपनी पेंशन की फाईल में चिपके भोला राम के जीव को पकड़ लेते हैं और यमलोक ले जाते हैं। नाटक में धर्मराज की भूमिका में स्वयं दीप कुमार ने और चित्रगुप्त की भूमिका में रमणीत कुमार ने दर्शकों को गदगुदाया। नारद की भूमिका विजय ने और आचार्य की भूमिका को वेद कुमार ने बखूबी अन्जाम दिया। ढोंगी साधू के रूप मे रूपेश भीमटा ने दर्शकों को खूब हंसाया। बाकि अंशिता, लोकेश, विक्रांत, सागर, प्रिती, कमल और राम प्रसाद कलाकारों ने अपनी अपनी भूमिकाओं को बखूबी निभाया। प्रकाश व्यवस्था एवं रूप सज्जा रूपेश बाली की, पाष्र्व ध्वनि का कार्य आशीष भागड़ा ने किया।