एनएचपीसी परियोजना कंपनी प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार-महाप्रबंधक प्रकाश चंद

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो 

बिहाली, सैंज 

जिला कुल्लू में 8 जुलाई से 11 जुलाई के दौरान हुई भीषण वर्षा और बाढ़ के कारण सैंज, बंजार, कुल्लू और मनाली के लोगों की जमीन और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ। सैंज क्षेत्र में भी इस बाढ़ का विकराल रूप देखने को मिला, जिसमें सैंज के लोगों की कई दुकानें और घर बह गए और यहां तक कि एनएचपीसी कॉलोनी को भी भारी नुकसान हुआ।

पार्बती-III प्रबंधन की ओर से पहले भी यह स्पष्ट किया गया था कि उन्हें विभिन्न समाचार पत्रों और अन्य स्रोतो के माध्यम से पता चला की सैंज क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि पार्बती-III द्वारा बांध के गेट अचानक खोले जाने के कारण सैंज क्षेत्र में बाढ़ आई जो की पूरी तरह से निराधार है।

इस संबंध में पार्बती-III प्रबंधन ने पूर्व में अपना पक्ष रखते हुए बताया था कि मानव नियंत्रण से परे इस प्राकृतिक आपदा में और पानी की अत्यधिक मात्रा व तेज बहाव में भी बाढ़ के पानी को नियंत्रित तरीके से छोड़ा था। इस संबंध में पावर स्टेशन के विरुद्ध लापरवाही की निरंतर चलती नकारात्मक खबरों के बीच पार्बती-III के महाप्रबंधक (प्रभारी) प्रकाश चंद ने उक्त खबरों का पुन: खंडन करते हुए यह जानकारी दी कि एनएचपीसी पार्बती-3 ने इस विषम स्थिति में भी बाढ़ का पानी नियंत्रित तरीके से डैम के स्टेंडर्ड ऑपरेशन मैनुअल के तहत छोड़ा है।

8 जुलाई को पानी का प्रवाह बढ़ने से और सेंज प्रोजेक्ट द्वारा उनके गेट खोलने की सूचना मिलने के बाद शाम सवा सात बजे पार्बती-III द्वारा डैम को दोनों गेट खोलना शुरू किया था। दोनों radial गेट खोलने से पहले जन-मानस को सूचित करने के लिए 3 बार सभी जगह के हूटर/सायरन नियमानुसार डैम के स्टेंडर्ड ऑपरेशन मैनुअल व SOP (एसओपी) का पालन करते हुए बजाए गए।

यदि ये गेट अचानक से खोले जाते तो स्थिति अत्यंत भयावाह हो सकती थी। उस दिन नदी का बहाव 188 से 324 क्यूमेक्स था और outflow 50 से 305 किया गया। गाद का स्तर 5040 से 10360 PPM हो गया था। दिनांक 9 जुलाई को रात के 11 बजे दोनों radial गेटों को 7 मीटर खोलने के बाद नदी को free flow किया गया था।

यह बताया जाना आवश्यक है की दिनांक 9 जुलाई को नदी का inflow 340 से 1000 क्यूमेक्स हो गया था और outflow 339 से 1044 क्यूमेक्स था एवं गाद की मात्रा 10360 से 19350 PPM थी। 10 जुलाई से नदी का बहाव free flow था और उस दिन नदी का inflow 684 से 1055 क्यूमेक्स और गाद का स्तर 22310 से 90440 PPM था। सैंज नदी में इस बाढ़ के दौरान लगभग 1000 क्यूमेक्स से ज्यादा पानी आया जो कि पिछले 100 वर्षों में अधिकतम 750 क्यूमेक्स से बहुत ज़्यादा है।

यह जानकारी के लिए है कि पार्बती-III की जलाशय क्षमता बहुत कम है जो 1206800 cubic मीटर है। हालांकि कुछ समाचार पत्रों के माध्यम से यह भी ज्ञात हुआ था कि खडेधार और लाहुलभाटी में ग्लेशियर टूटने की वजह से पिन पार्बती में अचानक से बाढ़ आ गयी जिसके कारण सैंज से लेकर लारजी तक में बड़ी प्राकृतिक त्रासदी हुई।

प्रकाश चंद ने यह भी बताया कि पार्बती-III पावर स्टेशन ने लोक निर्माण विभाग के साथ मिलकर संयुक्त रूप से लारजी से सियूण्ड बांध तक सड़क संपर्क, विद्युत आपूर्ति और मोबाइल संचार सेवा बहाल करने हेतु लगातार काम शुरू कर दिया ताकि जल्द से जल्द स्थानीय निवासियों और पावर स्टेशन को भी इस विभीषिका से कुछ राहत मिलने लगे।

उन्होंने बताया कि एनएचपीसी अपनी परियोजनाओं के प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार कंपनी है। पूर्व में एनएचपीसी ने सैंज घाटी के विकास के लिए कई कल्याणकारी कदम (सीएसआर) उठाए हैं। प्राकृतिक आपदा की वर्तमान परिस्थितियों में एनएचपीसी जिला प्रशासन के साथ गहन परामर्श कर रही है ताकि लोगों की दर्दनाक स्थिति से राहत मिल सके। एनएचपीसी द्वारा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री राहत कोष में दिनांक 28 जुलाई को 3 करोड़ राशि दिया गया है तथा एनएचपीसी प्रभावित क्षेत्रों की बहाली के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ लगातार समन्वय बनाकर काम कर रही है।

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