विजयदान देथा की कहानी पर आधारित नाटक दुविधा का किया सफल मंचन

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सुरभि न्यूज ब्यूरो

कुल्लू

नाट्यश्रेश्ठ थिएटर ग्रुप भुन्तर के कलाकारों ने विंग्स स्टूडियो, शमशी में विजयदान देथा की कहानी आधारित नाटक ‘दुविधा’ का सफल मंचन किया। रेवत राम विक्की के निर्देशन में इस नाटक का इस सप्ताह में यह दूसरा मंचन है। इससे पहले भुन्तर स्थित जमोट गांव मे भी इसका मंचन हुआ था। नाटक में रेवत राम विक्की सहित आंचल, ईशा, पायल, हंसराज, दिनेश रितिक, देशराज, वंशिका, भास्कर, दीपांशु सिमरन, जानवी, सूरज, दिनेश कुमार, परमानन्द, शीतल, रूकमणी, आयुश, प्रताप तथा वंशुल कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। दर्शकों ने खासकर दुल्हन के रूप में ईशा की खूब सराहना की, और साथ ही सेठ का किरदार निभाने वाले सूरज के अभिनय को भी खूब सराहना मिली। नौकर के रूप में हंसराज ने दर्शकों को खूब हंसाया। भूतों के झुण्ड में प्रमुख भूत की भूमिका में और गडरिऐ की भूमिका को परमानन्द ने बखूबी अन्जाम दिया। राजस्थानी पृष्ठभूमि में लिखी इस कहानी को हिमाचली विशेष कर कुल्लवी परिप्रेक्ष्य मे ढाला गया था। स्थानीय गीतों का भरपूर प्रयोग किया गया था। वस्त्रभूषण का स्थानीय प्रयोग प्रस्तुति को लुभावना और भव्य बनाया। कहानी में नई शादी किया हुआ सेठ का बेटा व्यापार के लिए जाता है तो उसका रूप धरे एक भूत उसकी दुल्हन के साथ रहता है। चार साला बाद जब असली बेटा वापिस आता है तो असली नकली का झगड़ा उत्पन्न होता है। जब यह झगड़ा मिटाने के लिए राजा के पास जाते हैं तो रास्ते में एक गडरिया मिलता है और वह सेठ के लड़के का रूप धरे भूत को मषक में बंद कर असली नकली की पहचान करवाता है। दुल्हन तब तक उस भूत को ही असली पति मान बैठी होती है जो उससे बहुत प्यार करता था। जबकि सेठ का लड़़का जिससे उसका ब्याह हुआ था वह तो हमेशा ही व्यापार की ही बातें करता रहता था।

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