रंगमंच: आठवीं संध्या: ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन के कलाकारों ने हास्य नाटक भगवान का पूत प्रस्तुत कर दर्शकों को ठहाके लगाने को किया मजबूर

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सुरभि न्यूज ब्यूरो
कुल्लू, 9 मार्च

स्थानीय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन द्वारा उत्तर क्षे़त्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला के सहयोग से भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में कला केन्द्र कुल्लू में आयोजित किए जा रहे नौ दिवसीय ‘कुल्लू राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव’ की आठवीं संध्या आयोजक संस्था ऐक्टिव मोनाल के कलाकारों ने हास्य नाटक ‘भगवान का पूत’ प्रस्तुत किया और दर्शकों ने खूब ठहाके लगाए।

राजा चट्र्जी द्वारा लिखित नूर ज़हीर द्वारा हिन्दी में रूपान्तरित और केहर सिंह ठाकुर द्वारा हिमाचली परिवेश में ढाल कर तैयार किए गए इस नाटक में एक गरीब जुलाहे के राजकुमारी के लिए सच्चे प्रेम के लिए भगवान विष्णु स्वयं उसके लिए युद्ध में कूद जाते हैं और उस गरीब जुलाहे को विजित करते हैं। नाटक में एक मामूली जुलाहे का लड़का भगवान विष्णु का छदम रूप धर कर राजकन्या को बेवकूफ बनाता है।

यहां तक कि राजा भी मूर्ख बन जाता है। समझता है उसकी लड़की शापग्रस्त लक्ष्मी है। जब उसका जमाईं स्वयं भगवान विष्णु है तो उसे भला युद्व में कौन पराजित कर सकता है। यही सोचकर वह पड़ोसी राज्यों से युद्व छेड़ता है। बेटी से कहलवाता है कि भगवान से कहे कि युद्व में हमारी मदद करें। जब यह बात विष्णु बने जुलाहे के लड़के को राजकन्या बताती है तो उसके पैर तले की ज़मीन खिसक जाती है। फिर किए की सज़ा भुगतने के लिए वह युद्व में जाकर मरने का मन बना लेता है। इस पर सचमुच के भगवान विष्णु का सिंहासन डोल उठता है। वे पक्षीराज गरूड से कहते हैं कि अगर वह जुलाहे का लड़का युद्व में मारा गया तो पष्थ्वी लोक पर तो अराजकता फैल जाएगी।

सब समझेंगे कि भगवान विष्णु साधारण सेनापतियों द्वारा मारे गए। फिर यह भी कहते हैं कि जुलाहे का पे्रम राजकन्या के लिए सच्चा है तभी तो वह मर मिटने के लिए भी तैयार हो गया। प्रभु कहते हैं कि पे्रम में कोई जात पात या वर्ग भेद नहीं होता, सो उसे राजकन्या मिलनी ही चाहिए। इसलिए भगवान स्वयं जुलाहे में प्रवेश होकर युद्व में विजय दिलाते हैं। राजा और बाकि प्रजा सब जुलाहे को सचमुच का भगवान विश्णु समझ कर भगवान विष्णु की जय हो के नारे लगाते हैं।

इस नाटक में हिमाचली गीतों का समावेश तथा इसे हिमाचली परिवेश में ढाल कर दिखाया गया है। इस नाटक में हिमाचली किंवदतिंयों व दे व भारथाओं के अनुसार सृष्टि का आरम्भ कैसे हुआ पर आधारित एक गीत तथा देव संस्कृति पर आधारित ध्वजा नत्य का इस्तेमाल भी किया गया है। नाटक में केहर सिंह ठाकुर, आरती ठाकुर, रेवत राम विक्की, कल्पना गौतम, सूरज, जीवानन्द, परमानन्द, पूजा, अनामिका, श्याम लाल तथा वैभव ठाकुर कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। जबकि वस्त्राभूषण तथा प्रकाश संयोजन मीनाक्षी का रहा। बतौर मुख्य अतिथि जाने माने कवि कवि व लेखक अजेय रहे।

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