सुरभि न्यूज ब्यूरो
कुल्लू, 10 मार्च
स्थानीय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन द्वारा उत्तर क्षे़त्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला के सहयोग से भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में कला केन्द्र कुल्लू में आयोजित किए जा रहे नौ दिवसीय कुल्लू राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव की नौवीं और आखिरी संध्या में अमितोज द्वारा पंजाबी में रूपान्तरित तथा भारत के विख्यात रंग निर्देशक केवल धालीवाल के निर्देशन में इस नाटक को पंजाब की लोक नाट्य शैली नकल में बहुत ही खूबसूरती से मंच पर उतारा गया।
ब्रेख्त के ऐपिक थिएटर को साकार करती यह नाट्य प्रस्तुति प्रस्तुति दर्शर्कों को कभी हंसाती मनोरंजित करती तो दूसरे ही पल युद्व से आम जनता का कितना बुरा हाल होता है यह दिखा और बताकर दर्शकों को झझकोर रख देती है। नाटक में राजा अपनी रानी की खुशी के लिए गरीबों की बस्तियों को उजाड़ कर बहां अच्छे अच्छे बाग बनाने का हुक्म देता है।
इस पर आम जनता विद्रोह कर देती है और राजा भी भाग जाता है और रानी भी अपना दूध पीता बच्चा छोड़ कर सोना
चांदी बटोर कर वहां से भाग जाती है। राजदरबार की एक दासी महताब उस बच्चे को उठाती है और उसे सब मुसीबतों से बचा कर उसका एक मां की तरह पालन पोषण करती है। अन्ततः जब सब शान्त होता है तो राजा रानी वापिस आ जाते है और राजकुमार को ढूंढने लगते हैं तो वह महताब के पास मिलता है।
महताब कहती है कि यह मेरा बच्चा है और रानी कहती है कि यह मेरा बच्चा है। जज अजदक चाॅक से एक सर्कल खिंचवाता है और बच्चे को उसमें रखकर कहता है कि जो मां इसे अपनी तरफ खींच लेगी यह उसका बच्चा। रानी ज़ोर लगाती है लेकिन महताब उसे रानी की तरफ धकेल देती है ताकि बच्चे की नाज्जुक बाज़ू दूट न जाए। इस पर जज फैसला सुनाता है कि बच्चा महताब का ही है। क्योंकि इसके मन में ममता है। रानी तो उसका बाजू ज़ोर से खींच कर उसे अपाहिज ही बनादेती।
नाटक को स्टैंडिंग ओवेशन देकर दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों की मुक्त कण्ठ से सराहना की। नाटक में गुरतेज, साजन, वीरपाल, डौली, इमानुएल, कुशाग्र, हर्षिता, गुरदित, हरप्रीत तथा जौनपाल कलाकारों ने अभिनय किया। इसी के साथ कुल्लू राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव को समापन हुआ और समापन के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि खादी
ग्रामोद्योग के विकास अधिकारी विवेक शर्मा रहे।