युवाओं के बजाय अपने चहेतों को नौकरी देकर किया जा रहा है एडजस्ट-जयराम ठाकुर

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो

शिमला, 14 मार्च

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि एक तरफ़ सरकार आर्थिक बदहाली का रोना तो रही है तो दूसरी तरफ़ सलाहकारों की फ़ौज खड़ी करने में लगी है। युवा डेढ़ साल से नौकरी की माँग को लेकर सरकार के खिलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री अपने प्राइवेट सेक्रेट्रीज को रिटायरमेंट के बाद भी सलाहकारों के रूप में नियुक्त कर ऐडजस्ट कर रही है। इससे साफ़ होता है कि मुख्यमंत्री केवल सत्ता का सुख लेने और अपने चहेतों को ऐडजस्ट करने के लिए ही काम कर रहे हैं।

जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री का काम प्रदेश के लोगों की भलाई और प्रदेश को आगे ले जाना होता है लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री को न तो प्रदेश के हितों से कोई लेना-देना है और न ही प्रदेशवासियों के। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश हित में काम करे न की सत्ता को बचाए रखने के लिए। कांग्रेस पूरी तरह से बेनक़ाब हो गई है। इस बार लोकसभा चुनाव में प्रदेश के लोग कांग्रेस को झूठी गारंटियों का जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं। हिमाचल के लोग चारों लोक सभा सीटों पर भाजपा को प्रचंड बहुमत से जिताकर नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री बनाएँगे। देश के लोग सिर्फ़ नरेन्द्र मोदी की गारंटी पर भरोसा करते हैं।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री बौखलाहट में हैं। एक ही दिन में दो-दो बार कैबिनेट की बैठकें की जा रही हैं। कैबिनेट बैठकों में पूरे मंत्री भी शामिल नहीं हो पा रहे हैं आख़िर सरकार इतनी अफ़रातफ़री में क्यों हैं? एक तरफ़ प्रदेश के युवा लंबित परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने की माँग को लेकर महीनों से सड़कों पर हैं और मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए जनता के हितों को दरकिनार कर रेवड़ियों की तरह कैबिनेट रैंक देने में व्यस्त हैं जिससे असंतुष्टों को साधा जा सके। एक तरफ़ सरकार आर्थिक तंगी का रोना तो रही है दूसरी तरफ़ कैबिनेट रैंक बांटकर करोड़ों रुपये का अनावश्यक बोझ प्रदेश की जनता थोप रही है। मुख्यमंत्री जिस तरह से अपने नेताओं का तुष्टिकरण कर रहे हैं, उससे कांग्रेस सरकार की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि इस तरह की अफ़रातफ़री आज तक नहीं देखी गई। एक विधायक को मुख्य सचेतक नियुक्ति करने की अधिसूचना जारी की जाती है लेकिन ग़ज़ट में उनकी नियुक्ति उपमुख्य सचेतक के रूप में की जाती है। जब मौक़ा था तब जनहित के कामों के बजाय सरकार सत्ता का सुख भोगने में व्यस्त रही। अब लोक सभा चुनावों के ठीक पहले बिना बजट के प्रावधानों के योजनाएं घोषित करके आम लोगों को सरकार एक बार फिर ठगने का काम कर रही है। जिस तरह से मुख्यमंत्री अपने नाराज़ नेताओं को संतुष्ट करने का प्रयास कर रही है उतनी मेहनत से अगर प्रदेशवासियों के हितों का ध्यान रखती तो आज स्थिति कुछ और होती। आज आलम यह है कि न तो कांग्रेस के नेता संतुष्ट हैं और न ही प्रदेश के लोग।

 

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