सुरभि न्यूज ब्युरो
सैंज, 04 अगस्त
सैंज घाटी में दो दिन पहले हुई भारी बारिश के कारण एक बार पार्वती जल विद्युत परियोजना और सैंज परियोजना के बांध से छोड़ें पानी ने सैंज घाटी के लोगों को डरा दिया। बांध से पानी छोड़ने से सैंज नदी में फिर से बाढ़ आ गई और लोगों की सैकड़ो बीघा भूमि को तबाह करके सड़कों को भी नुकसान पहुंचाया।
इस तरह का मंजर देखने के पश्चात सैंज घाटी के बाढ़ प्रभावित लोग सहमे हुए हैं। उधर सैंज वैली विकास समिति भी परियोजना के खिलाफ स्वर मुखर होने लगी है। पिछले वर्ष भारी बरसात के कारण सैंज पिन पार्वती नदी में आई बाढ़ के कारण घाटी के लोगों के कई पुश्तैनी मकान, जमीन, दुकाने, कारोबार तहस नहस कर दिया था। अभी उनके यह जख्म भरे भी नहीं थे कि इस बार फिर से परियोजना बांध से छोड़े गए पानी ने उनको डरा दिया है।
सैंज विकास समिति के प्रधान बुधराम ने बताया कि पिछल् वर्ष सैंज नदी में प्रलयकारी बाढ़ ने न्यूली से लेकर लारजी तक लोगों के घर, मकान, दुकान और उपजाऊ भूमि तबाह कर दी थी। अभी तक सरकार और प्रशासन बाढ़ प्रभावितों को मुआवजा तक नहीं दे पाई और ना ही सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम कर पाए हैं।
इस बार सैंज नदी में बाढ़ तो नहीं आई लेकिन सैंज परियोजना और पार्वती जल विद्युत परियोजना के बांध से भारी मात्रा में पानी छोड़ने से फिर से भारी नुकसान हुआ है। जहां सरकार ने ड्रेजिंग कार्य और क्षतिग्रस्त सड़कों को बनाने के लिए करोडों रूपए खर्च किए थे वह बांध से छोड़े पानी ने चंद मिनट में बहा कर ले गया। सरकार ब प्रशासन को करोड़ों का नुकसान तो हुआ ही और साथ में ग्रामीणों को भी लाखों का नुकसान उठाना पड़ा है।
जिस कारण सैंज घाटी की जनता को परियोजना की कार्यप्रणाली के प्रति खासा रोष देखने को मिल रहा है। सैंज वैली विकास समिति के प्रधान बुध राम ने बताया कि उन्होंने समिति के माध्यम से सरकार और जिला प्रशासन को कई प्रस्ताव भेजे परन्तु प्रशासन और सरकार के कानों जूं तक नहीं रेंगी। मुआवजा राशि तो दूर सुरक्षा के लिए एक क्रेटबाल भी साल भर में नहीं लगा पाए। उन्होंने कहा कि एक वर्ष बीत गया प्रशासन ने सश्वासन के जाल में फंसा रखा है और समस्या जस की तस है।
सैंज वैली विकास समिति के प्रधान बुध राम ने जिला प्रशासन से मांग की है कि परियोजना में भारी बारिश के कारण पानी हर साल बांध में जमा होना है और ऐसे में परियोजना वाले बार-बार बांध से पानी को छोड़ेंगे जिस कारण हमारा हर बार नुकसान होता रहेगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन संयुक्त तौर पर इसका सर्वेक्षण करें। जहां बांध के पानी का बहाव पहुंचता है वहां निहारनी से बिहाली तक डेंजर जोन घोषित करे। उस भूमि को अधिकृत करें और तब समस्या का हाल होगा।
बकशाहल निवासी बुध राम, तुले राम, सचिव देवी राम, वार्ड पंच विधा देवी, रोशन लाल, दोतराम, अन्नत राम, दया,नैना, देहरी देवी, निर्मला, मनी राम, संजू व गीता ने कहा कि 31 जुलाई को बांध का पानी छोड़ने से आई बाढ़ के कारण उनके खेतों में टमाटर, मक्की की फसल तबाह हो गई और सड़क बह गई। जिस कारण उनको सब्जी मंडी तक अपना उत्पाद पीठ में उठा कर ले जाना पड़ रहा है। बच्चों को चलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने मांग की है कि शीघ्र प्रशासन और एनएचपीसी उनकी सड़क को बनाएं और क्षतिग्रस्त फसल का मुआवजा दे। बकशाहल गांव को डेंजर जोन घोषित करें।